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मंडी, 19 जून (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश ठेकेदार संघ ने अपनी मांगों को लेकर उपायुक्त के माध्यम से राज्यपाल हिमाचल प्रदेश को ज्ञापन भेजा है। संघ के अध्यक्ष केशव नायक और महासिचव भूपेंद्र महाजन ने बताया कि लोक निर्माण, जल-शक्ति, विद्युत बोर्ड, हिमुड़ा, उद्योग, वन, दूरसंचार आदि विभागों के ठेकेदारों के 2,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि के बिल लंबित पड़े हैं। जिनका भुगतान सरकार की ओर से नहीं किया जा रहा है।
राज्यपाल को भेजे ज्ञापन में हिमाचल प्रदेश ठेकेदार संघ ने कहा है कि प्रदेश के विभिन्न विभागों द्वारा निष्पादित विकास कार्यों की अनुमानित 2,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि पिछले कई महीनों से ठेकेदारों को प्राप्त नहीं हुई है। उन्होंने कहा कियह स्थिति न केवल निर्माण-उद्योग बल्कि प्रदेश की संपूर्ण अर्थ-व्यवस्था को गम्भीर संकट की ओर धकेल रही है। जिससे एन-पी-ए खातों में बढ़ोतरी हो रही है ,अदायगी न मिलने से ठेकेदारों के ऋण खाते अनियमित होकर एनपीए घोषित हो रहे हैं, जिससे पुनर्वित्त स्पष्टतः बाधित हो रहा है।बैंकों का बकाया मूलधन पर चक्रवृद्धि ब्याज लगने से लागत में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, जिसकी प्रतिपूर्ति संभव नहीं रही।भुगतान अटकने के कारण देनदारियां समय पर निपट न पाने से अधिकांश ठेकेदारों का क्रेडिट-स्कोर ख़राब हो चुका है, भविष्य में ऋण सुविधा प्राप्त कर पाना कठिन हो गया है।
मज़दूरी का भुगतान बाधित होने से हज़ारों कुशल-अकुशल मज़दूरों को वेतन में देरी के कारण आजीविका संकट झेलना पड़ रहा है, जिससे सामाजिक असंतोष जन्म ले रहा है। इसके अलावा निर्माण-सामग्री आपूर्ति-शृंखला चरमराई: सीमेंट-स्टील, रेत-बजरी, ट्रांसपोर्ट आदि से जुड़े व्यापारियों-उद्योगों को भुगतान नहीं हो पाने से प्रदेश-व्यापी व्यापार-वित्त चक्र टूट रहा है। जबिक राजकोषीय दबाव का दुष्चक्र सरकारी वित्तीय संकट के चलते अधूरे कार्यों पर लागत-बढ़ोतरी तथा नया निवेश ठप्प है, जिससे विकास-गति एवं रोजगार-सृजन दोनों थम गए हैं।
उन्होंने बताया कि ठेकेदारों के पास नक़दी प्रवाह शून्य होने से वे स्वयं अपने आपूर्तिकर्ताओं व कर्मचारियों को भुगतान में विफल हैं, फलतः दिवालिएपन का ख़तरा मंडरा रहा है। संघ ने माग की है कि लंबित बिलों का चरण-बद्ध नहीं बल्कि एकमुश्त भुगतान के लिए विशेष पैकेज जारी किया जाए। भुगतान-विलंब से उत्पन्न अतिरिक्त ब्याज-भार के लिए ब्याज की प्रतिपूर्ति अथवा समायोजन का प्रावधान हो और भविष्य में विलंब रोके जाने हेतु ई-बिल प्रणाली से 30 दिन के भीतर अनिवार्य भुगतान की समय-सीमा तय की जाए। कार्य प्रगति के अनुसार तिमाही अंतरिम भुगतान की व्यवस्था लागू की जाए, ताकि नक़दी प्रवाह बना रहे। ठेकेदार-बैंक-सरकार के त्रिपक्षीय संवाद हेतु उच्च-स्तरीय निगरानी समिति का गठन शीघ्र किया जाए।ठेकेदार संघ ने मांग की है कि राज्य के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ रखने तथा मज़दूर-व्यापार समुदाय की रोज़ी-रोटी बचाने के लिए उनकी मांगों पर अविलंब संज्ञान लिया जाए।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा