Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
भाेपाल, 19 जून (हि.स.)। मध्यप्रदेश में आदिवासियों की स्थिति और पट्टे को लेकर कांग्रेस नेताओं ने गुरुवार काे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार पर निशाना साधा है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव और सीडब्ल्यूसी मेम्बर कमलेश्वर पटेल ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दाैरान कांग्रेस नेताओं ने भाजपा सरकार पर आदिवासियों के साथ अन्याय, जल-जंगल-जमीन से बेदखली और झूठे आरोपों के ज़रिए दमन करने के गंभीर आरोप लगाए। तीनों वरिष्ठ नेताओं ने सरकार की नीतियों को आदिवासी विरोधी बताते हुए कहा कि भाजपा विकास के मुद्दों से भटक चुकी है और अब वह केवल धर्म की राजनीति कर रही है।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि वह आदिवासियों को उनके पारंपरिक अधिकारों से वंचित कर रही है। हजारों आदिवासी परिवारों के पट्टे बिना किसी पूर्व सूचना के खारिज कर दिए गए हैं। सरकार की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि वह जल, जंगल और जमीन पर आदिवासियों का हक छीनना चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश में अब तक केवल झबुआ जिले में पाँच पट्टे दिए गए हैं, जो दर्शाता है कि सरकार की मंशा आदिवासियों को उनका अधिकार देना नहीं, बल्कि उन्हें उनके ही घर-जंगल से बाहर करना है। नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि अकेले बुरहानपुर जिले के नेपानगर क्षेत्र में 8 हजार वनाधिकार के पट्टे निरस्त किए गए हैं। पूरे प्रदेश में 3 लाख से ज्यादा पट्टे निरस्त किए गए हैं। सरकार यदि 15 दिन में फैसला नहीं लेती है तो कांग्रेस पार्टी उग्र आंदोलन करेगी।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि कल नेपानगर क्षेत्र में हम लोग गए थे। हमने वहां देखा कि आदिवासियों के साथ अन्याय हो रहा है। सरकार का नियम है कि जो 40 साल से ज्यादा समय से काबिज हैं उनको वनाधिकार के पट्टे दिए जाएंगे। लेकिन, सरकार ने तीन लाख पट्टे खारिज कर दिए। अकेले नेपानगर क्षेत्र में आठ हजार आदिवासियों के पट्टे खारिज कर दिए। सरकार ये जमीनों क्या बॉक्साइट वालों को देना चाहती है या कोयला, मैग्नीज वालों को देना चाहती है? तो क्या ये सरकार आदिवासियों को जंगल से बाहर करना चाहती है। हम सरकार को 15 दिन की चेतावनी देते हैं यदि 15 दिन में सरकार ने नेपानगर और पूरे प्रदेश में पट्टों के मामलों का निराकरण नहीं किया तो कांग्रेस पार्टी उग्र आंदोलन करेगी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि नेपानगर के आदिवासी जंगल से हटाए जा रहे हैं, जबकि वही आदिवासी स्वयं पर्यावरण की रक्षा में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि यह सरकार की चाल है कि वह आदिवासियों को जंगलों से बेदखल कर कॉरपोरेट हितों को साधना चाहती है।
कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य कमलेश्वर पटेल ने कहा कि सरकार द्वारा आदिवासियों को दिए गए पट्टों का मालिकाना हक उनके बच्चों को भी मिलना चाहिए, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रह सके। उन्होंने आरोप लगाया कि सिंगरौली क्षेत्र में अदानी कंपनी द्वारा आदिवासी समुदाय का शोषण और छल किया जा रहा है, और सरकार इसमें साझेदार बनी हुई है। तीनों नेताओं ने सरकार को 15 दिन की समय सीमा देते हुए स्पष्ट किया कि यदि इस अवधि में आदिवासी भाइयों को उनके अधिकार वापस नहीं मिले, तो कांग्रेस पार्टी जन आंदोलन शुरू करेगी और आदिवासियों के हक की लड़ाई सड़क से विधानसभा तक लड़ी जाएगी।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / नेहा पांडे