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कोलकाता, 19 जून (हि.स.)। कलकत्ता हाईकोर्ट ने निचली अदालत की एक महिला न्यायाधीश के साथ अभद्र व्यवहार करने के मामले में सात वकीलों को दोषी करार दिया है। हालांकि, कोर्ट ने फिलहाल उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है। गुरुवार को हाईकोर्ट ने साफ किया है कि भविष्य में इस प्रकार की घटना दोहराई गई तो दोषियों के खिलाफ नया मामला दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला लगभग एक साल पुराना है जब उत्तर 24 परगना जिले के बनगांव अदालत में एक अप्रिय घटना घटी थी। वहां फास्ट ट्रैक सेकंड कोर्ट की न्यायाधीश सोम चक्रवर्ती उस दिन नियमित रूप से मामले की सुनवाई कर रही थीं। उसी दौरान कुछ वकील अदालत कक्ष में पहुंचे और जोरदार हंगामा किया। वकीलों का आरोप था कि एक लॉ क्लर्क की मृत्यु के बाद बार एसोसिएशन ने हड़ताल का आह्वान किया था, जिसकी जानकारी अदालत को पहले ही दे दी गई थी। इसके बावजूद सुनवाई क्यों जारी रही, इस पर वे आक्रोशित हो उठे।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, वकीलों ने कोर्ट रूम में शोरगुल किया और इस दौरान न्यायाधीश सोम चक्रवर्ती के साथ बहस और अभद्रता हुई। इस तनावपूर्ण स्थिति के चलते वह अस्वस्थ हो गईं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। बाद में इस घटना को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया।
गुरुवार को न्यायमूर्ति देवांशु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद सब्बार रशीदी की खंडपीठ ने सात वकीलों को दोषी ठहराया, लेकिन तत्काल कोई सख्त कार्रवाई न करने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि भविष्य में ऐसा कोई कृत्य दोहराया गया, तो उनके खिलाफ नया मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर