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--नोबल स्टार हेल्थ सर्विसेज प्रा लि के निदेशकों के विरुद्ध दर्ज है प्राथमिकी
--पुलिस को 90 दिनों के भीतर विवेचना पूर्ण कर आवश्यक विधिक कार्यवाही करने का निर्देश
प्रयागराज, 18 जून (हि.स.)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान से सम्बंधित टेंडर प्रक्रिया में कथित जालसाजी एवं कूटरचित दस्तावेजों के प्रयोग के गंभीर आरोपों में फंसे उदयभान सिंह एवं रजनी सिंह, निदेशकगण नोबल स्टार हेल्थ सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, को उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में इलाहाबाद हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है।
आरोपियों द्वारा दायर याचिका, जिसमें प्राथमिकी को निरस्त करने एवं गिरफ्तारी पर स्थगन की प्रार्थना की गई थी उसे न्यायमूर्ति सिद्धार्थ एवं न्यायमूर्ति हरवीर सिंह की खंडपीठ ने खारिज कर दी है। न्यायालय ने पुलिस को निर्देशित किया है कि वह 90 दिनों के भीतर विवेचना पूर्ण कर विधिक प्रक्रिया को यथासमय आगे बढ़ाए।
मामला अगस्त 2024 में बीएचयू अस्पताल द्वारा पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के अंतर्गत जारी टेंडर से है, जो डायग्नोस्टिक इमेजिंग सेवाओं एवं अन्य चिकित्सीय कार्यों के लिए आमंत्रित किया गया था।
प्राथमिकी में यह आरोप है कि अभियुक्तगणों ने टेंडर में भाग लेने हेतु दो कूटरचित अनुभव प्रमाणपत्र संलग्न किए तथा सात रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सकों के जाली हस्ताक्षर कर फर्जी नियुक्ति अनुबंध पत्र प्रस्तुत किया, जिससे बीएचयू प्रशासन को धोखा देने का प्रयास किया गया।
30 मई 2025 को प्रो. एस.एन. संखवार, निदेशक, इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (आईएमएस) द्वारा उक्त तथ्यों के आधार पर वाराणसी के लंका थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई, जिसमें भारतीय न्याय संहिता की धारा 336(3), 338, 340(2), 318(4), 61(2)(ए) के अंतर्गत गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
याचिका में आरोपियों ने अपने कृत्य को उचित ठहराने का प्रयास करते हुए प्राथमिकी को निरस्त करने की मांग की थी, जिसे हाईकोर्ट ने तथ्यों एवं साक्ष्यों के आधार पर अस्वीकार कर दिया। हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि प्रथम दृष्टया प्रकरण गंभीर प्रकृति का है, एवं पुलिस को निर्देशित किया कि विवेचना शीघ्रातिशीघ्र पूरी किया जाए।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे