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गांधीनगर, 18 जून (हि.स.)। राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) के स्कूल ऑफ बिहेवियरल साइंसेज़ एंड फॉरेंसिक इन्वेस्टिगेशंस (एसबीएसएफआई) द्वारा सोशल मीडिया और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य विषयक एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण सम्मेलन सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।
सम्मेलन में भारत, कनाडा, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और नेपाल के 500 से अधिक पेशेवरों, विद्वानों और विशेषज्ञों ने भागीदारी की। यह समागम डिजिटल युग में, जहां आभासी वातावरण किशोरों की पहचान, संबंधों और भावनात्मक स्वास्थ्य को गहराई से प्रभावित करता है, इस कार्यक्रम ने डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य को केवल एक नैदानिक मुद्दा नहीं बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता और सामाजिक उत्तरदायित्व के रूप में रेखांकित किया।
कार्यक्रम को मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों के विचारोत्तेजक सत्रों से समृद्ध किया गया, जिनमें डॉ. यतन पाल सिंह बलहरा, प्रोफेसर, मनोरोग विभाग एनडीडीटीसी एवं एम्स नई दिल्ली, डॉ. मनोज कुमार शर्मा, प्रोफेसर, क्लीनिकल साइकोलॉजी, एनआईएमएचएएनएस, बेंगलुरु, डॉ. नितिन आनंद, अतिरिक्त प्रोफेसर, क्लीनिकल साइकोलॉजी, एनआईएमएचएएनएस, बेंगलुरु, डॉ. सूरज शाक्य, असिस्टेंट प्रोफेसर, क्लीनिकल साइकोलॉजी, इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिसिन, त्रिभुवन यूनिवर्सिटी, नेपाल शामिल थे।
वक्ताओं ने सोशल मीडिया के किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव, डिजिटल लत की गंभीरता और डिजिटल स्पेस में मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन एवं रोकथाम हेतु साक्ष्य-आधारित उपायों पर गहन अंतर्दृष्टि साझा की।
कुलपति प्रो. (डॉ.) बिमल एन. पटेल के नेतृत्व में इस सम्मेलन ने राष्ट्रीय सुरक्षा शिक्षा में मानसिक स्वास्थ्य के एकीकरण और लचीले समाजों को बढ़ावा देने की आरआरयू की सक्रिय प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
हिन्दुस्थान समाचार / Abhishek Barad