जहां से विज्ञान खत्म होता है वहीं से शुरू होती है भागवत : श्रीकांत
प्रवचन के दौरान श्रीकांत शर्मा महराज


रांची, 14 जून (हि.स.)। राजधानी रांची के अग्रसेन भवन के सभागार में

श्रीमदभागवत कथा के दूसरे दिन शनिवार को मुख्य यजमान लता देवी केडिया, ओम प्रकाश केडिया, निरंजन, अजय, संजय केडिया ने श्रीमदभागवत और ब्यास पूजन किया।

वैदिक मंत्रोच्चा।र के साथ ब्यास पीठ पर विराजमान कथा वाचक श्रीकांत शर्मा को मुख्य यजमान ओम प्रकाश केडिया चंदनऔर माल्यर्पण कर स्वागत किया गया।

इस अवसर पर उन्हों ने कहा कि ईश्वर से जगत है, जगत से ईश्वर नहीं, क्योकि हम सभी लोगों के जन्म का कारण भगवान है। शिवात्मा परमात्मा दो नहीं है। भागवत के परमतत्व को जानें, जहां से विज्ञान खत्म होता है वहीं से भागवत प्रारम्भ होती है। भागवत किताब नहीं, भगवान की मंगलाचरण पर चर्चा करते हुए श्रीकांत शर्मा महाराज ने बताया कि महाभारत खंड, परीक्षित कथा के प्रसंग पर भी अपने मुखारविंद से अमृत वर्षा की।

मदभागवत संसार की जलन से शांति दिलाने वाला ग्रंथ

भगवान सबको जान जाएं यह जरूरी नहीं, लेकिन हम जिसे नहीं देख रहे हैं वो हर पल हमें देख रहा है। हम रामनवमी जन्माष्टमी इसलिए मनाते हैं कि भगवान का प्राकट्य होता है।

महराजजी ने कहा कि श्री मदभागवत संसार की जलन से शांति दिलाने वाला ग्रंथ है। संसार जल रहा है और इससे शांति परमात्मा ही दे सकता है, क्योंकि परमात्मा सर्वत्र व्याप्त है। परमात्मा पास भी है और दूर भी है। वह सारे संसार में है और संसार उसमें है, ब्रह्म सब में विद्यमान है और राम तथा श्री कृष्ण वर्तमान हैं। वे सभी में रहते हैं लेकिन दिखाई नहीं पड़ते हैं। परमात्मा स्वयं प्रकाश है। सब कुछ उन्हीं से प्रकाशित होता है। जब मनुष्य को कहीं से भी प्रकाश नहीं मिले तो उन्हें अपनी आत्मा से प्रकाश लेना चाहिये। क्योंकि हमेशा सत्संग, सकीर्तन और महापुरुषों के सानिध्य से ही प्रकाश मिलता है। उसी प्रकाश में नारायण के दर्शन होते हैं। इसलिए सत्संग भजन और कीर्तन में लगे रहो, कोई न कोई संत महापुरुष आयेगा और जीवन में आपके रोशनी दे जाएगा।

साधना करें, लेकिन नियम के साथ करें

उन्होंने कहा कि साधना करें, लेकिन नियम के साथ होनी चाहिए। जिस तरह से जल की पतली धार पत्थर को तोड़ देती है उसी तरह से नियम के साथ की गई साधना अहंकार के पत्थर को तोड़ कर श्रीबांके बिहारी लाल जी की दर्शन कराती है ।

श्रीकांत शर्मा ने कहा कि जिंदगी में नित्य प्रकाश लाओ यही रास्ता गोविंद का दर्शन कराता है। आंखों में आंसू आते ही भगवान उसे पोछने के लिए दौड़ते हुए आएंगे बस इसी बात का ध्यान रखो कि वे आंसू स्वार्थ के आंसू नहीं होने चाहिए। अगर रोना हो तो सिर्फ ठाकुर जी को प्राप्त करने के लिए रोएं। शिवाजी ने समर्थ गुरु रामदास के चरणों की धूलि भी संत महापुरुषों की चरण धूलि लेने के साथ ही अध्यात्मिक की यात्रा शुरू हो जाती है।

इसके पूर्व मेन रोड हनुमान मंदिर के त्यागीजी, श्री हनुमान मंडल, मारवाड़ी सहायक समिति, रांची गोशाला के ट्रस्टी ओम प्रकाश छापड़िया ने गुरुजी को माला पहनाकर, अंग वस्त्र देकर स्वागत किया।

मौके पर राजेंद्र केडिया, मनोज चौधरी, किशन पोद्दार,सजन पाड़िया, प्रवीण मोदी, निर्मल बुधिया, हनुमान बेड़िया, रामअवतार फोगला, नारायण अग्रवाल, बालकिशन अग्रवाल, प्रकाश धेलिया, ओमप्रकाश केडिया ,निरंजन केडिया, अजय केडिया, संजय केडिया, निर्मल बुधिया,प्रमोद सारस्वत सहित अन्य मौजूद थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak