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गुवाहाटी, 12 जून (हि.स.)। कला, संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत के भव्य उत्सव के रूप में गुरुवार को गुवाहाटी के श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में आयोजित एक विशेष समारोह में असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने भारत की प्रतिष्ठित शास्त्रीय नृत्यांगना पद्म विभूषण डॉ. सोनल मानसिंह को श्रीमंत शंकरदेव पुरस्कार 2023 से सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
राज्यपाल ने अपने संबोधन में श्रीमंत शंकरदेव को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें भारत की सांस्कृतिक एकता, सौहार्द्र और समावेशिता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि शंकरदेव केवल असम या पूर्वोत्तर के संत नहीं थे, बल्कि भारत की सामूहिक सांस्कृतिक चेतना के प्रतीक थे। शंकरदेव द्वारा प्रचारित 'एक शरण नाम धर्म' की चर्चा करते हुए कहा कि उनके योगदानों - जैसे बरगीत, अंकिया नाट और भागवत पुराण के अनुवाद ने सामाजिक समानता को बढ़ावा दिया और जातिगत भेदभाव को तोड़ा। उन्होंने असम की सांस्कृतिक पहचान को आकार देने में शंकरदेव की भूमिका को अमूल्य बताया।
राज्यपाल ने असम सरकार द्वारा बटद्रवा थान, पटवाउसी सत्र, शंकरदेव कलाक्षेत्र और विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में श्रीमंत शंकरदेव पीठ की स्थापना जैसे प्रयासों की सराहना की।
डॉ. सोनल मानसिंह को सम्मानित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह पुरस्कार न केवल उनके व्यक्तित्व को सम्मानित करता है, बल्कि भारतीय धरोहर को संरक्षित और आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करने में उनके समर्पण को मान्यता देता है। उन्होंने कहा, उनकी नृत्य साधना, सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक सेवा प्रेरणादायक है। डॉ. मानसिंह, जो भरतनाट्यम और ओडिसी नृत्य की मर्मज्ञ हैं, दशकों से भारतीय परंपरा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में लगी हैं।
अंत में युवाओं से आह्वान किया कि वे श्रीमंत शंकरदेव के जीवन और शिक्षाओं से प्रेरणा लें और भारत के शाश्वत मूल्यों को अनुसंधान, अभिव्यक्ति और सेवा के माध्यम से आगे बढ़ाएं।
कार्यक्रम में संस्कृति मंत्री बिमल बोरा, मुख्य सचिव डॉ. रवि कोटा, प्रसिद्ध नर्तक पद्म भूषण जतिन गोस्वामी सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश