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देहरादून, 12 जून (हि.स.)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए सिविल सेवकों में मार्गदर्शक की भावना होनी चाहिए। उन्होंने सिविल सेवकों से समाज की बेहतरी और लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए शासन के उपकरण के रूप में नवाचार और पारदर्शिता को अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि नीतियां बनने के बाद, उन्हें प्रभावी ढंग से लागू करना अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला गुरुवार को लाल बहादुर शास्त्री अकादमी मसूरी में आयोजित 127वें प्रेरण प्रशिक्षण कार्यक्रम में अधिकारी प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कहा कि लोग, विशेष रूप से जो हाशिए पर हैं, वे सिविल सेवकों की ओर उम्मीद से देखते हैं और ऐसे में अधिकारियों की यह जिम्मेदारी है कि वे इन आशाओं को पूरा करने और समाज के सभी वर्गों के कल्याण में सार्थक योगदान देने के लिए करुणा, निष्पक्षता और कर्तव्य की मजबूत भावना के साथ कार्य करें।
लोक सभाध्यक्ष ने लाल बहादुर शास्त्री प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) का उल्लेख करते हुए कहा कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों, सादगी और अखंडता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रवेश करेंगे, प्रशिक्षण से उनका दृष्टिकोण व्यापक होगा और शासन के प्रति नए दृष्टिकोणों को प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के तीन स्तंभ हैं, जिनमें कार्यकारी शाखा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नीतियां बनने के बाद, उन्हें प्रभावी ढंग से लागू करना अधिकारियों की जिम्मेदारी है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जीवन पर भी प्रकाश डाला।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सच्चा नेतृत्व ईमानदारी, निष्पक्षता और निरंतर सेवा में निहित है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ईमानदारी से काम करने वाले अधिकारी अक्सर जनता का गहरा विश्वास जीतते हैं। इतना कि तबादले के बाद भी लोग उन्हें प्यार से याद करते हैं। उन्होंने याद किया कि कई मामलों में उन्होंने देखा है कि जनता ऐसे अधिकारियों के समर्थन में खड़ी होती है, कभी-कभी राजनीतिक प्रतिरोध के बावजूद भी उन्होंने अधिकारियों को यह विश्वास आत्मसात करने के लिए प्रोत्साहित किया कि कोई भी काम छोटा नहीं होता और गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों की मदद करने का हर प्रयास सार्वजनिक सेवा को सार्थक बनाता है।
उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति के आंसू पोंछने से भी अगले दिन और अधिक प्रतिबद्धता के साथ सेवा करने की नई ऊर्जा मिलती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अधिकारियों को लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए और लोगों के लिए लाभ सुनिश्चित करने के लिए अपने पास मौजूद सभी साधनों का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासनिक काम सही तरीके से किया जाए तो जनता को अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
भारत की अद्वितीय विविधता-भाषाई, सांस्कृतिक, भौगोलिक और सामाजिक-का उल्लेख करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि विविधताओं के बावजूद, देश ने सामूहिक भागीदारी और सहयोग पर आधारित एक मजबूत लोकतांत्रिक और प्रशासनिक प्रणाली का सफलतापूर्वक निर्माण किया है। उन्होंने कहा कि इसी कारण से भारत वैश्विक लोकतंत्रों में सबसे अलग खड़ा है। यह देखते हुए कि लोक प्रशासकों की मुख्य जिम्मेदारी केवल नीतियों का कार्यान्वयन नहीं है, बल्कि सबसे हाशिए पर नागरिकों के जीवन में सार्थक बदलाव लाना भी है।
लोकसभा अध्यक्ष ने निरंतर सीखने और प्रशिक्षण के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने अधिकारियों से हर मुद्दे को अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी के रूप में लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि न्याय दिलाना या किसी आम व्यक्ति के मुद्दे को सुलझाना न केवल आशीर्वाद अर्जित करता है बल्कि व्यक्ति के उद्देश्य की भावना को नवीनीकृत करता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pokhriyal