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मीरजापुर, 11 जून (हि.स.)। ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा पर बुधवार को विंध्यधाम में आस्था का सागर उमड़ पड़ा। जगत जननी माता विंध्यवासिनी के दरबार में दर्शन-पूजन को सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लग गईं। मंगला आरती और श्रृंगार दर्शन के साथ दिन की शुरुआत हुई, जिसमें देवी के दिव्य स्वरूप के दर्शन कर भक्त भावविभोर हो उठे।
सूरज की पहली किरण के साथ ही मंदिर परिसर जय विंध्यवासिनी माता के उद्घोष से गूंज उठा। गंगा के अखाड़ा घाट, गुदारा घाट, पक्का घाट और दीवान घाट पर हजारों श्रद्धालुओं ने पुण्य स्नान किया, फिर गीले वस्त्रों में ही देवी के दरबार में मत्था टेकने पहुंचे।
त्रिकोण यात्रा पथ पर विराजमान महाकाली और मां अष्टभुजी के दरबार में भी श्रद्धालुओं की अपार भीड़ देखने को मिली। कहीं घंटा-घड़ियाल बजते रहे, तो कहीं शंखनाद और नगाड़ों की गूंज ने माहौल को आध्यात्मिक बना दिया। मंदिर की छतों पर साधक आसन लगाकर मंत्रोच्चार में लीन दिखे, तो अष्टभुजा पहाड़ पर साधु-संतों का जप-तप चलता रहा।
गुड़हल, गुलाब और कमल के फूलों से सजे देवी मां के भव्य श्रृंगार ने दर्शनार्थियों को अभिभूत कर दिया। श्रद्धालुओं ने देवी के चरणों में न केवल आस्था अर्पित की बल्कि पूरे परिवार के साथ विंध्य की गलियों में घूमते हुए पूजन सामग्री और पारंपरिक वस्तुएं भी खरीदीं।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए थे। पुलिस, जिला प्रशासन और श्री विंध्य पंडा समाज ने मिलकर श्रद्धालुओं को सुगमता से दर्शन कराने में पूरा सहयोग किया।
हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा