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संगठन ने प्रशासनिक अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की
हिसार, 11 जून (हि.स.)। एसएफआई ने हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में छात्रवृति
नीति में बदलाव के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से धरना दे रहे छात्रों पर बीती रात विश्वविद्यालय
प्रशासन द्वारा बर्बरतापूर्ण किए गए लाठीचार्ज की कड़े शब्दों में निंदा की है। यह
घटना उस समय हुई जब छात्र कुलपति आवास के बाहर शांतिपूर्वक बैठे थे और कुलपति की गाड़ी
का प्रतीकात्मक घेराव कर रहे थे।
छात्रों का कहना है कि वे पिछले 20 दिनों से स्कॉलरशिप की पुरानी नीति को बहाल
कराने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने न तो संवाद की कोई पहल की और न ही
कोई समाधान निकाला। उल्टा, जब छात्रों ने अपनी आवाज़ कुलपति तक पहुंचाने की कोशिश की,
तो प्रशासन ने सुरक्षा गार्डों को भेजकर छात्रों को दौड़ाकर पीटा।
इतना ही नहीं, छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय के एक असिस्टेंट प्रोफेसर
ने भी खुद लाठी से छात्रों पर हमला किया, जो कि बेहद शर्मनाक और निंदनीय कृत्य है।
इस पूरे लाठीचार्ज में 6 छात्र गंभीर रूप से घायल हुए, जिन्हें इलाज के लिए सिविल अस्पताल
ले जाया गया।
एसएफआई के जिला सचिव सुखदेव बूरा धरनास्थल पर पहुंचे और छात्रों को संबोधित
करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने जो कल रात तानाशाही रवैया अपनाया, वह लोकतंत्र
और शिक्षा के मूल्यों के खिलाफ है।
छात्र अपनी जायज़ मांगों को लेकर शांतिपूर्वक बैठे
थे, उनके ऊपर लाठियां बरसाई गईं। मैं इसकी तीव्र निंदा करता हूं। वीसी का काम छात्रों
की आवाज़ सुनना है, न कि उन्हें दबाना।
एसएफआई ने ये उठाई मुख्य मांगे
एसएफआई ने मांग की कि छात्रवृत्ति की पुरानी नीति को तुरंत बहाल किया जाए,
लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों विशेषकर रजिस्ट्रार और अन्य संबंधित
व्यक्तियों को तुरंत निलंबित कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए, विश्वविद्यालय
के उस असिस्टेंट प्रोफेसर की पहचान कर, जिन्होंने लाठी चलाई, उनके खिलाफ भी सख्त अनुशासनात्मक
कार्रवाई की जाए। घायल छात्रों का संपूर्ण इलाज विश्वविद्यालय प्रशासन की जिम्मेदारी
पर निशुल्क कराया जाए।
एसएफआई ने चेतावनी दी कि अगर जल्द
से जल्द छात्रों की मांगों को नहीं माना गया और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई,
तो पूरे हरियाणा में व्यापक छात्र आंदोलन छेड़ेगा। छात्र चुप नहीं बैठेंगे और इस बार
उनकी आवाज़ को कोई लाठी, कोई धमकी और कोई दमन नहीं रोक पाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर