पूसीरे ने लामडिंग में जल संरक्षण अभियान का किया नेतृत्व
असमः लामडिंग में पूसीरे ने अत्याधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का उद्घाटन किया


गुवाहाटी, 11 जून (हि.स.)। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (पूसीरे) ने लामडिंग के कम वर्षा वाले भौगोलिक स्थिति की चुनौती को सतत विकास के अवसर में बदल दिया है। सीमित वर्षा के बावजूद, 4,000 से अधिक रेल परिवारों के आवास और ट्रेन में पानी की व्यवस्था, प्लेटफ़ॉर्म की सफ़ाई और डेमू रेक के अनुरक्षण जैसे आवश्यक कार्यों के लिए इस प्रमुख रेल शहर ने अभिनव और पर्यावरण-अनुकूल समाधानों के माध्यम से निर्बाध जलापूर्ति को प्राथमिकता दी है।

पूसीरे के सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा ने आज बताया है कि जल संरक्षण को बढ़ावा देने के एक ऐतिहासिक पहल के तहत, लामडिंग के मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) समीर लोहानी ने 90,000 लीटर प्रतिदिन क्षमता वाले एक अत्याधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का उद्घाटन किया। यह एसटीपी कॉलोनी से प्रतिदिन निकलने वाले लगभग 2,00,000 लीटर प्रदूषित पानी को प्रशोधन करता है और लगभग 50 प्रतिशत को गैर-पीने योग्य, पुनः उपयोग युक्त पानी के रूप में पुनर्चक्रति करता है।

डेमू पिट लाइन पर स्थित स्वचालित कोच वाशिंग प्लांट में प्रशोधन जल का कुशलतापूर्वक उपयोग किया जा रहा है, जिससे बहुमूल्य विशुद्ध जल का संरक्षण हो रहा है। परिणामस्वरूप, संचय किया हुआ विशुद्ध जल अधिकारी और कर्मचारी कॉलोनियों में घरेलू उपयोग के लिए पुनः आवंटित किया जा रहा है, जिससे कुल मिलाकर जल उपलब्धता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

यह पहल न केवल पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में एक कदम है, बल्कि लामडिंग में निरंतर जल संकट का एक व्यावहारिक समाधान भी है। इस परियोजना को 1.12 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से विकसित किया गया है, जिसे पर्यावरण और हाउसकीपिंग प्रबंधन (ईएनएचएम) योजना के अंतर्गत वित्त पोषित किया गया है, जिसमें पहले वर्ष के लिए संचालन लागत भी शामिल है। दीर्घकालिक रूप से पानी की बचत और संबंधित लाभ इस निवेश से कहीं अधिक हैं।

इस प्रयास को पूरक करने के लिए, एसटीपी के पास एक सौर ऊर्जा संयंत्र की योजना बनाई जा रही है, ताकि ऊर्जा का सतत उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। इसके अतिरिक्त, स्थानीय जल स्तर को पुनः बनाए रखने के लिए वर्षा जल संचयन और प्राकृतिक रिसाव उपायों को लागू किया जा रहा है। डीआरएम के नेतृत्व में एक सामूहिक पौधारोपण अभियान भी चलाया गया, जिसमें सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

यह पहल आत्मनिर्भर शहरी रेल पारिस्थितिकी तंत्र की दिशा में एक ऐतिहासिक माइलस्टोन है और पूसीरे को हरित प्रौद्योगिकियों और जिम्मेदार संसाधन प्रबंधन को एकीकृत करने में अग्रणी होने पर गर्व है।

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हिन्दुस्थान समाचार / अरविन्द राय