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पश्चिम सिंहभूम, 10 जून (हि.स.)। पश्चिम सिंहभूम जिला स्थित मझगांव में झारखंड आंदोलनकारी और झामुमो के पूर्व केंद्रीय सदस्य सुनील सिरका ने मंगलवार को राज्य सरकार पर जोरदार हमला करते हुए कहा है कि झारखंड में आदिवासी हितों की अनदेखी हो रही है और हेमंत सोरेन की सरकार पूरी तरह से पूंजीपतियों के हाथों बिक चुकी है। वे हाटगम्हरिया प्रखंड के लुपुंगपी गांव में ग्राम रक्षा समिति द्वारा छाता पर्व के अवसर पर आयोजित फुटबॉल प्रतियोगिता के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
सुनील सिरका ने कहा गुरुजी (शिबू सोरेन) का सपना था कि झारखंड को नशा मुक्त राज्य बनाया जाए, लेकिन वर्तमान सरकार की शराब नीति ने राज्य को बर्बादी की राह पर ला खड़ा किया है। झारखंड में अब आदिवासियों की आबुआ सरकार नहीं, बाहरी लोगों की ‘बाबुआ सरकार’ चल रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सिर्फ एक आदिवासी मुखौटा हैं, जबकि सरकार को पर्दे के पीछे से उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग चला रहे हैं। “गांव-गांव में युवा पीढ़ी गांजा और ब्राउन शुगर जैसी घातक नशाखोरी की गिरफ्त में है। हमारी शिक्षा व्यवस्था भी बदहाल हो गई है। हाल ही में घोषित मैट्रिक परीक्षा परिणाम में हमारा जिला (पश्चिमी सिंहभूम) 24वें स्थान पर रहा, जो कि बेहद चिंताजनक है,” सिरका ने कहा।
ईचा डैम मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि हेमंत सोरेन ने संघर्ष यात्रा के दौरान आदिवासियों से ईचा डैम को रद्द करने का वादा किया था, लेकिन अब वही डैम पूंजीपतियों के हित में फिर से टीएसी (ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल) की बैठक में पारित कर दिया गया है। इसे उन्होंने आदिवासी जनता के साथ धोखा करार दिया।
उन्होंने लोगों से अपील की कि अबुआ-अबुआ के नाम पर अंधभक्त न बनें, नहीं तो एक दिन टाटा, बोकारो और चांडिल के विस्थापितों की तरह पश्चिमी सिंहभूम के लोग भी विस्थापन का शिकार हो जाएंगे।
इस अवसर पर वीर सिंह तामसोय, सतीश सिरका, आलोक कुमार बिरूली, शंकर मुन्दुईया, सुदर्शन गोप, कृपाल गागराई, बुधन सिंह कोड़ा, प्रदीप गागराई, कैप्टन पिंगुवा सहित बड़ी संख्या में खिलाड़ी और ग्रामीण मौजूद थे।
कार्यक्रम में युवाओं को नशा से दूर रहने और मेहनत के बल पर आगे बढ़ने की प्रेरणा भी दी गई।
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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद पाठक