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जम्मू, 10 जून (हि.स.)। वरिष्ठ भाजपा नेता पूर्व राज्य सचिव भाजपा जम्मू-कश्मीर और प्रभारी जिला डोडा पवन शर्मा ने जम्मू-कश्मीर सेवा चयन भर्ती बोर्ड (जेकेएसएसआरबी) द्वारा नायब तहसीलदार पद के लिए उर्दू को अनिवार्य विषय के रूप में हाल ही में विज्ञापित किए जाने की कड़ी आलोचना की है।
शर्मा ने इस कदम को जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा अधिनियम के तहत मान्यता प्राप्त सभी आधिकारिक भाषाओं के साथ समान व्यवहार के सिद्धांत का घोर उल्लंघन बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उर्दू आधिकारिक भाषाओं में से एक है लेकिन यह न तो यूटी के सभी निवासियों के लिए अनिवार्य है और न ही एकमात्र आधिकारिक भाषा है।
शर्मा ने कहा जम्मू-कश्मीर में हिंदी, डोगरी, कश्मीरी और अंग्रेजी सहित कई अन्य आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषाएं हैं। उर्दू को अनिवार्य योग्यता पत्र के रूप में लागू करना उन उम्मीदवारों के एक बड़े वर्ग के साथ भेदभाव है जिनकी इस भाषा में पृष्ठभूमि नहीं है। उन्होंने प्रशासन और जेकेएसएसआरबी से आग्रह किया कि वे सभी उम्मीदवारों के लिए निष्पक्ष और समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए मानदंडों की समीक्षा और संशोधन करें चाहे उनकी भाषाई पृष्ठभूमि कुछ भी हो। उन्होंने कहा यह निर्णय उन हजारों योग्य युवाओं के साथ अन्याय है जो अन्य आधिकारिक भाषाओं में कुशल हैं लेकिन अब इस मनमाने आदेश के कारण खुद को वंचित पाते हैं।
पवन शर्मा ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और एलजी मनोज सिन्हा से इस मामले में व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करने और न्याय सुनिश्चित करने का आग्रह किया। शर्मा ने दोहराया कि भाजपा जम्मू-कश्मीर के प्रत्येक नागरिक के लिए न्याय, समावेशिता और समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और ऐसे निर्णय सभी समुदायों के संवैधानिक और भाषाई अधिकारों के अनुरूप होने चाहिए।
हिन्दुस्थान समाचार / रमेश गुप्ता