वाटिका में लगे औषधीय पौधों को सुरक्षित एवं संरक्षित करना मनुष्य का नैतिक कर्तव्य : आयुर्वेदाचार्य
प्रकृति संवर्धन में मुख्य अतिथि आयुर्वेचार्य डॉ. वंदना पाठक


कानपुर, 10 जून (हि. स.)। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में विश्व योग दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित प्रकृति से स्वास्थ्य संवर्धन विषय पर आयोजित दो दिवसीय प्रकृति का महत्व एक ज्ञानवर्धक प्रदर्शनी का शुभारम्भ हुआ। मुख्य अतिथि वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ वंदना पाठक, सचिव एनआईएमए, यू पी एवं मुख्य वक्ता के रूप में प्रति कुलपति प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी की विशेष उपस्थिति रही। यह जानकारी मंगलवार को विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. विशाल शर्मा ने दी।

वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ वंदना पाठक ने कहा कि परिसर में स्थित औषधीय वाटिका जन सामान्य के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है। जिसमें लगभग 180 प्रकार के औषधीय जीवनदायिनी पौधे वाटिका की शोभा को जीवंत कर रहे हैं। वाटिका में स्थापित चिकित्सा एवं आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि एवं औषधि विज्ञान के मूल प्रवर्तक महर्षि चरक की मूर्ति जो विश्वविद्यालय के फाइनआर्ट विभाग द्वारा निर्मित कर स्थापित किया गया है। वाटिका में लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। डॉ वंदना पाठक ने कहा कि वाटिका में लगे पौधें ट्यूमर, लिवर, किडनी, मधुमेह, उच्च रक्तचाप आदि रोगों के रोकथाम के लिए अपनी उपयोगिता सिद्ध कर रहे हैं।विश्वविद्यालय में कार्यरत 60 से अधिक कर्मचारियों के परिवारों को व्यसन से मुक्ति दिलाने में औषधीय वाटिका की महती भूमिका है।

प्रतिकुलपति प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी ने कहा कि प्रकृति सभी औषधीय पौधों को उत्पन्न करती है। जिसको सुरक्षित एवं संरक्षित करना मनुष्य का नैतिक कर्तव्य है। उन्होंने बताया कि वाटिका में लगे प्रत्येक पौधे के बारे में जानकारी के लिए विश्वविद्यालय द्वारा क्यूआर कोड लगाया गया है। जो छात्रों एवं आम जनमानस को पौधों से संबंधित वैज्ञानिक जानकारी प्राप्त करने में सहायक हैं। जिसमें पौधे एवं उसके स्वास्थ्य संबंधी लाभ तथा दैनिक मानव जीवन में उपयोग आदि विषयों पर जानकारी मिलती है।

स्कूल ऑफ़ एडवांस्ड एग्रीकल्चर साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक डॉ. हिमांशु त्रिवेदी ने कुलपति प्रो.विनय कुमार पाठक के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि औषधीय वाटिका की सार्थकता इसमें है कि जन सामान्य यहाँ पर लगाये गए औषधीय पौधों को पहचानने तथा उनके लाभ से परिचित होने लगे। प्रकृति माता हमें पोषण के साथ आधिव्याधि निवारण हेतु औषधीय पौधों के माध्यम से हमारे स्वास्थ्य का संरक्षण करती है। यह प्रदर्शनी विद्यार्थियों शिक्षकों सहित जन सामान्य के लिए बड़ी उपयोगी है। इस प्रदर्शनी में 180 से अधिक औषधीय पौधों को देखने पहचानने का अवसर प्राप्त हो सकेगा जो छात्रों तथा आमजनमानस के लिए आवश्यक एवं उपयोगी सिद्ध होगा।

उन्होंने बताया कि यह प्रदर्शनी प्रातः आठ बजे से सायं सात बजे तक खुली रहेगी। वाटिका में मखाना, हींग , पान, मडूकपर्णी , इंसुलिन, रुद्राक्ष जैसे पौधे मुख्य आकर्षण के केंद्र बने। जिसके बारे में जानने के प्रति छात्रों में विशेष उत्सुकता रही।छात्र क्यूआर कोड के माध्यम से पौधों के बारे में जानकारी एकत्र करते दिखे।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रभारी सम्पत्ति डॉ. प्रवीण भाई पटेल, डॉ.रंजना गौतम, डॉ.अंकित सिंह भदौरिया, डॉ. अभिषेक तिवारी, डॉ. रोहित , डॉ. श्रेया, डॉ. शुभम बाजपेई , सुभाष चंद्रा , राम किशोर, राकेश मिश्र, शिवम दीक्षित, सुमित कुमार शुक्ल, आदि की मुख्य भूमिका रही। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षक छात्र कर्मचारी आदि उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद