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जींद, 10 जून (हि.स.)। कृषि विज्ञान केंद्र पांडू पिंडारा के वैज्ञानिक व कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के कृषि विशेषज्ञों सहित सरकार की कई एजेंसिंयों के अधिकारीगण गांव ढाठरथ, खुंगा कोठी और जामनी में मंगलवार को किसानों से रूबरू हुए और उनकी समस्याएं जानीं। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिक डा. राकेश सेठ ने किसानों को धान की किस्मों और बीज उपचार के महत्व के बारे में जानकारी दी।
भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान केंद्र से डा. नीरज कुमार ने फसल अवशेष प्रबंधन की जानकारी दी और बताया कि हमारी मिट्टी की बहुत सी उपजाऊ शक्ति फसल अवशेषों के अकुशल प्रबंधन से समाप्त हो जाती है। अंतत: फसल अवशेष प्रबंधन बहुत जरूरी है। डा. पवन कुमार ने मिट्टी पानी की जांच कैसे और क्यों विषय पर जानकारी दी। डा. प्रीति मलिक ने प्राकृतिक खेती के महत्व के बारे में बताया। पशु विशेषज्ञ डा. बलवंत ने पशुओं में होने वाली बीमारियों के बारे में बताया। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपमण्डल अधिकारी डा. बलजीत लाठर तथा कोर्डिनेटर डा. बालमुकुंद कौशिक ने डीएआर, बागवानी, फसल मुनाफा बढाने के लिए जानकारी दी।
उन्हाेंने बताया कि यह विस्तृत अभियान पूरे देश में एक राष्ट्रव्यापी पहल है और देश भर के किसान वैज्ञानिकों से जुड़े हैं। उधर, गांव रिटौली, बनियाखेड़ा और मोहम्मद खेड़ा में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र करनाल से डा. सुरेश राणा ने पानी के प्रबंधन, वितरण, सिंचाई कमांड क्षेत्रों में आउटरीच, अनुसंधान और प्रशिक्षण एवं जल विज्ञान की जानकारी दी और किसानों के शंकानिधान करते हुए प्रश्नों का जवाब दिया। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल से डा. सोनू ने पशुओं की देखभाल, दुग्ध उत्पादन बढाने की जानकारी दी। पशु चिकित्सक डा. राजबीर ने भी पशुओं में होने वाले रोगों, पहचान व बचाव की जानकारी दी। मौसम वैज्ञानिक डा. राजेश तथा सुरेंद्र मित्तल ने गांव भीखेवाला, फरैण कलां और फरैण खुर्द में किसानों के हितार्थ योजनाओं के बारे में बताया। उन्होंने मौसम विज्ञान, फसल चक्र तथा खेती के साथ-साथ सहायक व्यवसायों की जानकारी दी।
हिन्दुस्थान समाचार / विजेंद्र मराठा