बोड़ाम हनी के जरिए आत्मनिर्भर बन रहा सबर समुदाय
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पूर्वी सिंहभूम, 10 जून (हि.स.)। पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर) जिले के ग्रामीण क्षेत्र बोड़ाम प्रखंड में स्थित खोखरो गांव के 45 सबर परिवारों ने अपने जीवन में एक नया अध्याय लिखा है। यह गांव आज शहद उत्पादन के क्षेत्र में पूरे राज्य के लिए प्रेरणा बन चुका है। सदियों से जंगलों पर निर्भर रहने वाले इस आदिम समुदाय का जीवन महुआ, पत्ता, झाड़ू और विशेषकर वन शहद जैसे गैर-काष्ठ वन उत्पादों पर आधारित रहा है। हर साल लगभग दो टन शहद एकत्र होता था, लेकिन बेहतर बाजार, मूल्य और भंडारण की कमी के कारण इनकी मेहनत का पूरा फल नहीं मिल पाता था।

2024 में प्रधानमंत्री जनजातीय सशक्तिकरण योजना (पीएम जनमन) के तहत खोखरो गांव में वन धन विकास केंद्र (वीडीवीके) की स्थापना हुई। इसके बाद सबर समुदाय को शहद संग्रहण, मधुमक्खी पालन, प्रोसेसिंग और ब्रांडिंग का प्रशिक्षण दिया गया। महिलाओं को वैज्ञानिक तरीके से शहद संग्रहण, हाइजीन, फिल्ट्रेशन और पैकेजिंग का प्रशिक्षण मिला। 30 परिवारों को आवश्यक उपकरणों की किट दी गई। इससे उनकी सहभागिता और आत्मविश्वास में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। अब बोडाम हनी एक ब्रांड के रूप में पहचाना जाता है। इसकी सुरक्षित पैकेजिंग, आकर्षक लेबलिंग और गुणवत्ता ने इसे बाजार में एक अलग पहचान दिलाई है।

तेजस्विनी महिला किसान उत्पादक समूह (एफपीओ) और 16 संयुक्त देनदारी समूहों (जेएलजीएस) के माध्यम से शहद की संगठित बिक्री हो रही है। इससे उत्पाद को उचित मूल्य और बाजार तक सीधी पहुंच मिली है। आने वाले दिनों में बी-बॉक्‍स के जरिए मधुमक्खी पालन को और बढ़ावा देने की योजना है।

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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद पाठक