मेटल फैक्ट्री मामले में खाचरियावास का पैदल मार्च, एक हजार करोड़ के घोटाले का आरोप
जयपुर, 7 दिसंबर (हि.स.)। पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास रविवार सुबह अपने निवास से पैदल मार्च करते हुए कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ स्टेशन रोड स्थित मेटल फैक्ट्री पहुंचे। उनके साथ विधायक अमीन कागजी, कांग्रेस नेता पुष्पेंद्र भारद्वाज,
मेटल के मजदूरों को 15-15 लाख दिलाने के लिए सड़क पर उतर किया खाचरियावास ने प्रदर्शन


जयपुर, 7 दिसंबर (हि.स.)। पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास रविवार सुबह अपने निवास से पैदल मार्च करते हुए कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ स्टेशन रोड स्थित मेटल फैक्ट्री पहुंचे। उनके साथ विधायक अमीन कागजी, कांग्रेस नेता पुष्पेंद्र भारद्वाज, गंगा देवी, सुमित शर्मा, राजकुमार शर्मा, रोहिताश सिंह, योगिता शर्मा सहित बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता जुलूस के रूप में नारे लगाते आगे बढ़े। रास्ते में विभिन्न स्थानों पर नागरिकों ने ढोल-नगाड़ों और फूल-मालाओं से उनका स्वागत किया। प्रदर्शनकारियों के हाथों में मेटल फैक्ट्री के सभी 1,558 मजदूरों को 15-15 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग वाली तख्तियां भी थीं।

मेटल फैक्ट्री परिसर के बाहर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रताप सिंह खाचरियावास ने आरोप लगाया कि मेटल फैक्ट्री के मामले में करीब 1,000 करोड़ रुपये का बड़ा घोटाला हुआ है और इसमें राज्य सरकार के साथ मुख्यमंत्री सचिवालय की भी मिलीभगत है। उन्होंने कहा कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के फैसले के आधार पर राज्य सरकार ने मात्र तीन दिनों में ही मुख्य सचिव और उद्योग सचिव के माध्यम से बिना समुचित प्रक्रिया के फैक्ट्री का कब्जा निजी कंपनी अल्केमिस्ट को सौंप दिया। जबकि एनसीएलटी के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के लिए राज्य सरकार को 45 दिन का समय मिला था और अब भी 12 दिन शेष हैं।

उन्होंने दावा किया कि फैक्ट्री के नीचे लगभग 60 हजार गज भूमि है, जिसकी बाजार दर प्रति गज करीब 3 लाख रुपये है, जिससे केवल जमीन की कीमत ही लगभग 2,000 करोड़ रुपये बैठती है। इसके अलावा फैक्ट्री की मशीनें भी 300 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की हैं। जबकि निजी कंपनी को मात्र 49 करोड़ रुपये के मूलधन पर ब्याज सहित लगभग 150 करोड़ रुपये ही चुकाने हैं। खाचरियावास ने कहा कि यदि सरकार फैक्ट्री की नीलामी कर निजी कंपनी का बकाया चुका देती और शेष राशि मजदूरों के मुआवजे के रूप में देती, तो भी सरकार को लगभग 1,000 करोड़ रुपये का लाभ होता, लेकिन जल्दबाजी में कब्जा सौंपकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया गया।

पूर्व मंत्री ने बताया कि इस प्रकरण से जुड़ी आर्थिक तंगी के कारण अब तक 50 से अधिक मजदूर आत्महत्या कर चुके हैं और 1,558 मजदूरों तथा उनके परिवारों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक राज्य सरकार सभी मजदूरों को 15-15 लाख रुपये मुआवजा नहीं देती और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराकर सच्चाई सामने नहीं लाती, तब तक कांग्रेस का आंदोलन जारी रहेगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश