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गुवाहाटी, 07 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय संविधान के मूल्यों—समता, न्याय, एकता और सामाजिक सद्भाव—को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से गुवाहाटी में ‘समता के सुर से जीवन का जयगान’ शीर्षक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति और गुवाहाटी के वाल्मीकि संगीत विद्यालय के संयुक्त प्रयास से यह तीन दिवसीय कार्यक्रम शहर के विभिन्न सेवा बस्तियों में रहने वाले सफाई कर्मियों के बच्चों द्वारा चार स्थानों पर प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण सफाई कर्मियों के बच्चों की अद्वितीय सांस्कृतिक प्रस्तुतियां रहीं, जिनमें सत्रीया नृत्य, भोरताल सहित अनेक शास्त्रीय, लोक और जनजातीय नृत्यों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
फाटासिल आमबारी शिव मंदिर बाल विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में अभिनेत्री आयमी बरुवा, असम के सांस्कृतिक पर्यटन मंत्री विमल बोरा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गुवाहाटी महानगर संघचालक गुरु प्रसाद मेधी तथा विभाग कार्यवाह दिलीप शर्मा सहित कई विशिष्ट अतिथियों ने भाग लिया।
अपने संबोधन में आयमी बरुवा ने बच्चों के आत्मविश्वास और अनुशासन की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह मंच उनके बड़े सपनों की उड़ान का प्रतीक है। उन्होंने बच्चों से गलतियों से सीखते हुए निरंतर आगे बढ़ने का आह्वान किया।
सांस्कृतिक पर्यटन मंत्री बिमल बोरा ने डॉ. भीमराव अंबेडकर को उनकी पुण्यतिथि पर नमन् करते हुए महर्षि वाल्मीकि, डॉ. हेडगेवार और डॉ. अंबेडकर के समाज-निर्माण में अमूल्य योगदान पर प्रकाश डाला। बोरा ने कहा कि समता के सिद्धांत, जिनका अंबेडकर ने प्रचार किया, आरएसएस के कार्य में भी स्पष्ट रूप से परिलक्षित होते हैं। उन्होंने बच्चों को सम्मानजनक मंच उपलब्ध कराने के लिए आयोजकों की सराहना की।
इधर, मालीगांव स्थित तरुण राम फूकन हिंदी हाई स्कूल में दोपहर के सत्र में मंत्री पीयूष हजारिका, गायिका प्रियंका भराली और आरएसएस असम क्षेत्र के क्षेत्र प्रचार प्रमुख डॉ. सुनील महंता समेत बड़ी संख्या में दर्शकों की उपस्थिति रही।
अपने संबोधन में मंत्री पीयूष हजारिका ने कहा कि वर्षों से चल रहा यह कार्यक्रम आज उल्लेखनीय रूप से विकसित हो चुका है। उन्होंने बच्चों को अपनी कला को गुवाहाटी से बाहर पूरे असम तक ले जाने की प्रेरणा दी। उन्होंने डॉ. अंबेडकर की जीवन-यात्रा का उल्लेख करते हुए शिक्षा और आत्मनिर्भरता की परिवर्तनकारी शक्ति पर जोर दिया।
गायिका प्रियंका भराली ने बच्चों और युवाओं से समर्पण और अनुशासन के साथ अपनी कलात्मक एवं शैक्षिक यात्रा जारी रखने की सलाह दी।
डॉ. सुनील महंता ने आरएसएस की 100वीं वर्षगांठ का उल्लेख करते हुए कहा कि 1925 में डॉ. हेडगेवार द्वारा सामाजिक एकता के दृष्टिकोण के साथ शुरू की गई यह यात्रा आज भी समाज को जोड़ने का कार्य कर रही है। उन्होंने डॉ. आंबेडकर और आरएसएस के स्वयंसवेकों के ऐतिहासिक संबंधों का भी उल्लेख किया और अंबेडकर के योगदान तथा त्याग को गहराई से समझने का आग्रह किया।
उल्लेखनीय है कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती को समर्पित इस कार्यक्रम के तहत 5, 6 और 7 दिसंबर को गुवाहाटी के चार स्थानों पर सफाई कर्मियों के बच्चों ने नृत्य और गीतों की भव्य प्रस्तुतियां दीं।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश