भारतीय ज्ञान परम्परा की कल्पना संस्कृत के बिना सम्भव नहीं- गौतम
उज्जैन, 5 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय ज्ञान परम्परा की कल्पना संस्कृत के बिना सम्भव नहीं है। वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना संस्कृत की पहचान रही है। एक समय भारत कभी किसी के अधीन नहीं था क्योंकि यहां के शास्त्रज्ञ समय समय पर आगे आकर अपना दायित्व निभाते रहे ह

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