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धर्मशाला, 18 दिसंबर (हि.स.)। कृषि क्षेत्र में महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर ने अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना–महिला कृषि के अंतर्गत स्थापित कस्टम हायरिंग सेंटरों के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह परियोजना विश्वविद्यालय के सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय में क्रियान्वित की जा रही है।
समझौता ज्ञापन के मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ए.के. पांडा भी मौजूद रहे। इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद्–केन्द्रीय कृषिरत महिला संस्थान, भुवनेश्वर की निदेशक डॉ. मृदुला देवी, सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. चन्द्रकांता वत्स सहित विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी एवं वैज्ञानिक उपस्थित रहे।कुलपति डॉ. ए.के. पांडा ने अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना–महिला कृषि टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए इस पहल को महिला किसानों के सशक्तिकरण की दिशा में एक सराहनीय कदम बताया। उन्होंने स्वयं सहायता समूहों एवं किसान हित समूहों द्वारा तैयार उत्पादों के लिए प्रभावी विपणन व्यवस्था विकसित करने पर भी बल दिया।
मुख्य अतिथि डॉ. मृदुला देवी ने वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों की प्रशंसा करते हुए महिलाओं के तकनीकी-सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण की आवश्यकता पर जोर दिया। वहीं अधिष्ठाता डॉ. चंदरकांता वत्स ने आईसीएआर–सीआईडब्ल्यूए के सतत सहयोग एवं मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त करते हुए वैज्ञानिकों एवं कृषक महिलाओं के संयुक्त प्रयासों की सराहना की।
इकाई समन्वयक डॉ. राज पाठानिया ने परियोजना के अंतर्गत स्थापित कस्टम हायरिंग सेंटरों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद्–केन्द्रीय कृषिरत महिला संस्थान के मार्गदर्शन में मंडी जिले के भड्याड़ा (चौंतड़ा विकासखंड), कांगड़ा जिले के भुहाना (पंचरुखी विकासखंड) तथा तंबर (लंबागांव विकासखंड) गांवों में तीन कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए गए हैं। इन केंद्रों को आधुनिक कृषि उपकरणों, मशीनों एवं यंत्रों से सुसज्जित किया गया है, जिससे कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों के माध्यम से महिलाओं में कृषि उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा सके तथा उनकी आजीविका के अवसर सुदृढ़ हों।
हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया