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शिमला, 18 दिसंबर (हि.स.)। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने गुरुवार को शिमला के यारोज में भारतीय लेखा एवं लेखा परीक्षा सेवा (आईएएंडएएस) के 2025 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया। उन्होंने युवा अधिकारियों से संवैधानिक मूल्यों, ईमानदारी और पेशेवर उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्ध रहने का आह्वान किया, ताकि वे देशभर में लेखा एवं लेखा परीक्षा सेवा द्वारा स्थापित उच्च मानकों के सच्चे संरक्षक बन सकें।
राज्यपाल ने अधिकारियों से मर्यादा बनाए रखने तथा ज़मीनी स्तर पर वित्तीय जवाबदेही और रिपोर्टिंग व्यवस्था को मजबूत करने के लिए निरंतर संवाद बनाए रखने का आग्रह किया।
राज्यपाल ने अकादमी की 1950 में स्थापना से जुड़ी समृद्ध विरासत का स्मरण करते हुए कहा कि राष्ट्रीय लेखा एवं लेखा परीक्षा अकादमी (एनएएए) ने देश में वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और सुशासन को सुदृढ़ करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि इतने प्रतिष्ठित संस्थान से व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करना प्रशिक्षु अधिकारियों के लिए गर्व की बात है।
राज्यपाल ने भारत के नियंत्रक एवं महालेखाकार (सीएजी) के संवैधानिक महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह संस्था सबसे महत्त्वपूर्ण संवैधानिक संस्थानों में से एक मानी जाती है। उन्होंने प्रशिक्षुओं को बताया कि अब वे ऐसे संगठन से जुडे़ हैं, जो सार्वजनिक संसाधनों की रक्षा करता है और प्रशासन में वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
राज्यपाल ने कहा कि एक ऑडिटर के रूप में आपकी भूमिका केवल वित्तीय जांच तक ही सीमित नहीं। आपके द्वारा सम्पन्न प्रत्येक लेखा व्यवस्थित सुधार सुनिश्चित करते हुए प्रणालीगत सुधार का मार्ग प्रशस्त करने के अलावा जनसेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाता है।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में भूटान और मालदीव के अधिकारी भी शामिल हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील शुक्ला