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नई दिल्ली, 14 दिसंबर (हि.स.)। दिसंबर के महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) लगातार बिकवाल (सेलर) की भूमिका में बने हुए हैं। दिसंबर के पहले दो सप्ताह में एफपीआई ने इक्विटी मार्केट से 17,955 करोड़ रुपये की निकासी की है। इस निकासी के कारण साल 2025 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की ओर से हुई बिकवाली का आंकड़ा 1.60 लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गया है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली के जवाब में घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने भी कमर कस ली है। इस महीने डीआईआई लगातार लिवाल (बायर) की भूमिका में बने हुए हैं। नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर के महीने में अभी तक घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 39,965 करोड़ रुपये की खरीदारी की है, जिसके कारण विदेशी निवेशकों की बिकवाली के बावजूद घरेलू शेयर बाजार की स्थिति मजबूत बनी हुई है। माना जा रहा है कि डीआईआई द्वारा लगातार खरीदारी का जोर बनाए रखने की वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को भी आने वाले दिनों में अपनी बिकवाली की रणनीति में बदलाव करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
इसके पहले नवंबर के महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने स्टॉक मार्केट में बिकवाली के जरिये 3,765 करोड़ रुपये की निकासी की थी। हालांकि नवंबर के पहले अक्टूबर के महीने में एफपीआई ने स्टॉक मार्केट में 14,610 करोड़ रुपये के शेयरों की खरीदारी की थी। अक्टूबर में हुई खरीदारी के पहले 3 महीने तक एफपीआई लगातार बिकवाली करते रहे थे। सितंबर के महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने शेयरों की बिक्री करके स्टॉक मार्केट से 23,885 करोड़ रुपये, अगस्त में 34,990 करोड़ रुपये और जुलाई में 17,700 करोड़ रुपये की निकासी की थी।
एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार, 01 दिसंबर से लेकर 12 दिसंबर की अवधि में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने लिवाली और बिकवाली मिला कर शुद्ध रूप से 17,955 करोड़ रुपये की निकासी की। दिसंबर के महीने में विदेशी निवेशकों ने डेट मार्केट से भी जनरल लिमिट के तहत 310 करोड़ रुपये निकाले। दूसरी ओर, इस अवधि में विदेशी निवेशकों ने वॉलंटरी रिटेंशन रूट के जरिए 151 करोड़ रुपये का निवेश किया।
मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि रुपये की कीमत में लगातार आ रही गिरावट और भारतीय स्टॉक मार्केट के अधिक वैल्यूएशन की वजह से विदेशी निवेशक लगातार बिकवाली का रवैया अपनाये हुए हैं। इसके अलावा अमेरिका में ब्याज की ऊंची दर और लिक्विडिटी के संकट कारण भी विदेशी निवेशक भारत जैसे देशों में लगातार बिकवाली की रणनीति बनाए हुए हैं। धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी का कहना है कि भारतीय रुपये में कमजोरी, ग्लोबल पोर्टफोलियो रीबैलेंसिंग, इयर एंड का निगेटिव इंपैक्ट और मैक्रो-इकोनॉमिक स्तर पर लगातार छाई अनिश्चितता ने भी भारतीय स्टॉक मार्केट में बिकवाली करने के लिए विदेशी निवेशकों को प्रेरित किया है। हालांकि धामी का ये भी कहना है कि भारत की मजबूत ग्रोथ और कमाई के आउटलुक को देखते हुए विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली को टिकाऊ नहीं माना जा सकता है। आने वाले दिनों में विदेशी निवेशक एक बार फिर बायर की भूमिका में वापस लौट सकते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / योगिता पाठक