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भीलवाड़ा, 13 दिसंबर (हि.स.) शादियों के मौसम में हर दूल्हा दुल्हन चाहता है कि उसका विवाह कुछ अलग हो, ऐसा हो जिसे सालों बाद भी लोग याद करें। कोई आसमान से हेलीकॉप्टर में उतरने का सपना देखता है, तो कोई बैलगाड़ियों की बारात निकालकर परंपरा से जुड़ने की कोशिश करता है। लेकिन भीलवाड़ा जिले के गंगापुर क्षेत्र के लाखोला गांव में एक जाट परिवार ने शादी को यादगार बनाने के लिए जो पहल की, उसने पूरे इलाके का दिल जीत लिया।
लाखोला गांव के पलाया परिवार में जगदीश जाट, पुत्र मांगी लाल जाट की शादी थी। दुल्हन का गांव बघेरा था, जो लाखोला से महज तीन किलोमीटर दूर है। आमतौर पर इस दूरी को सड़क मार्ग से तय किया जाता है, लेकिन परिवार ने तय किया कि इस बार बारात सिर्फ मंजिल तक नहीं जाएगी, बल्कि दिलों तक पहुंचेगी। इसी सोच ने इस शादी को एक अनोखी पहचान दे दी। शादी वाले दिन सुबह से ही लाखोला गांव का माहौल अलग था। गांव के पास स्थित तालाब को आधा दर्जन से अधिक नावों से सजाया गया। रंग-बिरंगे गुब्बारे, फूलों की सजावट और ढोल-नगाड़ों की गूंज ने तालाब के किनारे उत्सव सा दृश्य रच दिया। दूल्हा जगदीश जाट पारंपरिक परिधान में, चेहरे पर आत्मविश्वास और खुशी की चमक लिए, बारातियों के साथ तालाब तक पहुंचा। ढोल की थाप पर नाचते-गाते बाराती जब पानी में तैरती नावों में सवार हुए तो मानो पूरा तालाब खुशी से झूम उठा। लहरों के साथ आगे बढ़ती बारात, नावों में खड़े मुस्कुराते चेहरे, मोबाइल और कैमरों में कैद होते पलकृहर दृश्य किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था। नावों में बैठकर बारातियों ने जमकर फोटो सेशन कराया और गीत-संगीत के साथ तालाब पार करते हुए बघेरा गांव की ओर रवाना हुए। तालाब के रास्ते गई यह बारात जैसे ही लोगों की नजरों में आई, हर कोई ठिठक गया। गांवों के लोग घरों से बाहर निकल आए, बच्चे उत्साह से तालियां बजाने लगे और बुजुर्ग इस नजारे को देखकर कहते नजर आए “ऐसी बारात पहले कभी नहीं देखी।” पानी पर तैरती बारात ने कुछ पलों के लिए समय को थाम सा लिया। बघेरा गांव पहुंचते ही दुल्हन पक्ष ने भी इस अनोखी बारात का भव्य स्वागत किया। दूल्हे जगदीश जाट की यह पहल न केवल उनकी शादी को यादगार बना गई, बल्कि यह संदेश भी दे गई कि खुशी दिखावे से नहीं, नए और सृजनात्मक विचारों से भी मनाई जा सकती है।
हिन्दुस्थान समाचार / मूलचंद