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अनूपपुर, 13 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में जिला विकास सलाहकार समिति की शनिवार को बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष प्रीति रमेश सिंह ने जिले के समग्र और दीर्घकालिक विकास को लेकर विचार रखते हुए कहा कि जिले की विकास योजनाएं आने वाली पीढ़ियों को ध्यान में रखकर बनाई जानी चाहिए, जिसमें प्राकृतिक पर्यावरण का संरक्षण और आदिवासी अंचल होने के कारण आदिवासी संस्कृति व स्थानीय अर्थव्यवस्था के अनुरूप रूपरेखा तैयार करना आवश्यक है। जिले के अंतर्गत मौजूद आदिवासी लोक कलाकृतियों, हस्तशिल्प एवं पारंपरिक कौशल को चिन्हित कर व्यवस्थित एवं संगठनात्मक तरीके से योजनाएं बनाई जाएं, जिससे स्थानीय कारीगरों को आर्थिक रूप से सशक्त किया जा सके और उनकी पहचान को बढ़ावा मिले।
प्रीति रमेश सिंह ने शासन द्वारा संचालित सामुदायिक एवं हितग्राही मूलक योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर देते हुए कहा कि इसके लिए प्रशासनिक पारदर्शिता, आपसी सामंजस्य और सतत पर्यवेक्षण आवश्यक है। समाज के अंतिम व्यक्ति को चिन्हित कर उनकी सामाजिक व आर्थिक स्थिति का आकलन किया जाना चाहिए। उन्होंने आदिवासी समाज में व्याप्त कुरीतियों, नशे की बढ़ती प्रवृत्ति, बचत की कमी और राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव जैसे मुद्दों पर चिंता जताई और कहा कि इन पर सरकारी विभागों के साथ-साथ गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से भी सार्थक प्रयास किए जाने चाहिए।
कृषि प्रधान जिला होने के कारण उन्होंने सिंचाई व्यवस्था, जल संरक्षण और जल संवर्धन को प्राथमिकता देने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि जिले की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप नवाचार किए जाएं, बरसात के पानी को अधिक से अधिक रोकने और वाटर रिचार्ज की व्यवस्था को मजबूत किया जाए। साथ ही वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को संभावित जल संकट के प्रति संवेदनशील करने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।
स्थानीय रोजगार की गंभीर समस्या पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि जिले में कोयला, रेत सहित अन्य खनिज संसाधनों की उपलब्धता का लाभ स्थानीय बेरोजगार युवकों और युवतियों को मिलना चाहिए। खनिज नियमों में मौजूद प्रावधानों के तहत स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने के लिए ठोस और व्यवस्थित योजनाएं बनाई जाएं। उन्होंने मनरेगा की वर्तमान स्थिति को दयनीय बताते हुए ग्रामीणों को इसका वास्तविक और प्रभावी लाभ दिलाने की मांग की। साथ ही कृषि क्षेत्र में रोजगारमूलक फसलों और उपज पर फोकस कर विभागीय स्तर पर ठोस प्रयास करने की बात कही। जिले में औद्योगीकरण की संभावनाओं पर चर्चा करते हुए ने कहा कि कदमटोला औद्योगिक क्षेत्र का विकास एक सकारात्मक पहल है, लेकिन जिस गति से उद्योगों का संचालन होना चाहिए था, वह नहीं हो पाया है। उन्होंने इसमें प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी की ओर संकेत करते हुए उद्योगों को गति देने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता बताई।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश शुक्ला