ग्राम बानगर में ग्रामीणाें के समक्ष किया गया मशरूम उत्पादन का प्रायोगिक प्रदर्शन
ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव कार्यक्रम के तहत हुआ आयोजन
मशरूम बनाने के लिए पालीथिन में पुआल भरते हुए विद्यार्थी।


मशरूम बनाने के लिए पालीथिन में पुआल भरते हुए ग्रामीण।


धमतरी, 13 दिसंबर (हि.स.)। ग्रामीण युवाओं एवं किसानों की आय वृद्धि और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव कार्यक्रम के अंतर्गत ग्राम बानगर में चतुर्थ वर्ष के विद्यार्थियों द्वारा मशरूम उत्पादन का प्रायोगिक प्रदर्शन आयोजित किया गया। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने किसानों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को कम पूंजी में अधिक आय देने वाली मशरूम उत्पादन तकनीक की जानकारी दी।

प्रदर्शन के दौरान मशरूम उत्पादन के लिए आवश्यक सामग्री जैसे पुआल, पॉलीथिन बैग, बीज, फॉर्मेलिन घोल, नमी के स्रोत तथा तापमान और आर्द्रता नियंत्रण के बारे में विस्तार से बताया गया। विद्यार्थियों ने पुआल की कटाई, स्वच्छीकरण एवं भिगोने की प्रक्रिया का खेत स्तर पर व्यावहारिक प्रदर्शन किया। साथ ही बताया कि स्वच्छ वातावरण, 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान, 80 से 90 प्रतिशत नमी तथा उचित वायु संचार मशरूम उत्पादन की सफलता के लिए आवश्यक है। विद्यार्थियों ने बीज जमाव एवं आवरण प्रक्रिया को सरल भाषा में समझाया।

पॉलीथिन बैग में परत-दर-परत पुआल एवं बीज भरने, बैग में छिद्र बनाने तथा नमी युक्त अंधेरे कक्ष में रखने की विधि का भी प्रदर्शन किया गया। विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं को घर पर ढिंढरी मशरूम उत्पादन की आसान तकनीक बताई गई, जिससे कम लागत, कम स्थान एवं कम श्रम में स्वरोजगार के अवसर सृजित किए जा सकते हैं। कार्यक्रम के दौरान मशरूम के पोषण मूल्य जैसे उच्च प्रोटीन, रेशा, विटामिन समूह तथा खनिज तत्वों की जानकारी दी गई। साथ ही मशरूम की पैकिंग, विपणन, भंडारण अवधि एवं मूल्य संवर्धन जैसे अचार, पापड़ एवं पाउडर निर्माण पर भी किसानों को जागरूक किया गया। यह गतिविधि नवनीत राणा के मार्गदर्शन में, भूमिका हत्गिया के निर्देशन एवं उपस्थिति में तथा गुलाब बर्मन और सोनू दिवाकर के सहयोग से सफलतापूर्वक संपन्न हुई। कार्यक्रम से ग्रामीण क्षेत्र में स्वरोजगार और आय वृद्धि की संभावनाओं को नई मजबूती मिली।

हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा