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जयपुर, 12 दिसंबर (हि.स.)। राजधानी में बसे तिब्बती शरणार्थियों ने दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने की वर्षगांठ बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई। 36 वर्ष पहले, वर्ष 1989 में तेनजिन ग्यात्सो को मिला यह सम्मान आज भी समुदाय के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है।
गोकुलपुरा, यूएस पैराडाइज और आसपास के क्षेत्रों को फूलों, गुब्बारों और रंग-बिरंगे तिब्बती झंडों से सजाया गया। पारंपरिक परिधानों में सजे बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सुबह से ही एकत्र होने लगे। ढोल-नगाड़ों की थाप पर तिब्बती लोक गीत गूंजे तो माहौल उत्सव रंग में डूब गया।
बच्चों ने हाथों में दलाई लामा के चित्र वाले पोस्टर थाम रखे थे और “लॉन्ग लिव हिज होलिनेस” के नारे लगाते हुए जुलूस निकाला। तिब्बती समुदाय के थुंडुब, छुगंडक और कुंचूक ने कहा कि देने वाला बड़ा नहीं होता, मुस्कान देने वाला बड़ा होता है… यही दलाई लामा का संदेश है। हमें भी हर किसी के चेहरे पर मुस्कान बिखेरनी चाहिए।
कार्यक्रम में पदाधिकारियों ने भाईचारे, शांति और मानवता का संदेश देते हुए कहा कि दलाई लामा की शिक्षाएं आज भी विश्व में अहिंसा और सद्भाव का मार्ग प्रशस्त करती हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश