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जयपुर, 11 दिसंबर (हि.स.)। नगर निगम अपनी आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है। यूडी टैक्स वसूलने का काम निगम ने एक कम्पनी को दे रखा है। कम्पनी यूडी टैक्स वसूलने में धांधली कर रही है। कम्पनी द्वारा भूखंड मालिकों को नक्शे के विपरित ज्यादा गज का भूखंड बताकर यूडी टैक्स का नोटिस देने के मामले सामने आ रहे है। इससे भूखंड मालिक परेशान है। इसकों लेकर कई बार निगम को शिकायत भी की गई, लेकिन पीडि़तों को राहत नहीं मिल पाई।
यूडी टैक्स वसूली में जुटी कम्पनी द्वारा की जा रही धांधली से आमजन परेशान है। वसूली में जुटी कम्पनी भूखंड मालिकों को नशे में दर्शाई गई नाप से ज्यादा बताकर मोटी राशि वसूली का नोटिस दे रही है। आरोप है कि इसके बाद कम्पनी के कर्मचारी भूखंड मालिकों से मिलीभगत कर उनसे राशि वसूलकर यूडी टैक्स को बकाया छोड़ देते है। इससे कम्पनी को तो आर्थिक लाभ हो रहा है, लेकिन निगम का खजाना खाली है। नगर निगम में राजस्व वसूली का काम स्पैरो सॉफ्टटेक कंपनी द्वारा किया जा रहा है। इस काम में लगी फर्म स्पैरो सॉफ्टटेक कंपनी को औसतन साल का 8 करोड़ रु. खर्चा दिया जा रहा है। वहीं, पांच साल पहले निगम खुद टैक्स वसूली करता था तो खर्चा साल का 7 से 8 लाख रु. ही आता था और राजस्व भी अधिक प्राप्त होता था। साल 2020 से पहले नगर निगम खुद टैक्स वसूली करता था। वर्ष 2020 से स्पैरो कंपनी ही यूडी टैक्स वसूली का काम रही है। विशेष बात यह है कि शहर में नगरीय विकास कर वसूली का काम निजी फर्म को देने के बाद भी निगम राजस्व प्राप्त करने में पिछड़ रहा है। जबकि राजस्व वसूली पर निगम का खर्चा भी ज्यादा हो रहा है। टेंडर की शर्तों के अनुसार दोनों नगर निगम फर्म को वसूली का 10 प्रतिशत औसतन 8 करोड़ रुपए खर्चा दे रहे हैं। जबकि शहर में जियो टेक सर्वे करके स्पैरो कंपनी को आरएफ आईडी कार्ड लगाने थे। निगम ने 2005 में सर्वे कराया था, उसमें 6.5 लाख प्रॉपर्टी हाउस टैक्स के लिए टैक्स टैक्सेबल पाई गई थी। उसमें से 1.5 लाख प्रॉपर्टी यूडी टैक्स के लिए पाई गई। तब से 2020 तक यानी 15 साल बाद अनुमानत प्रॉपर्टी 25 प्रतिशत बढ़कर 2 लाख और हो जानी चाहिए यानी 8 लाख हाउस टैक्स देने वाली प्रॉपर्टी होनी चाहिए। 2020 में सर्वे आठ लाख का होना चाहिए था। हर साल 5 प्रतिशत भी शहर में प्रॉपर्टी बढ़ती है तो 3 प्रतिशत टैक्सेबल आएगी ही।
केस नम्बर- 1 मालवीय नगर निवासी एक महिला को 18 वर्ष के बकाया यूडी टैक्स को लेकर निगम ने करीब दो लाख रुपए का नोटिस भेज दिया। यह नोटिस साल 2007-08 से 2025-26 तक के बकाया के लिए दिया गया है। नोटिस में महिला के भूखंड को 304 गज का बताया गया है , जबकि नक्शे में यह भूखंड 293 गज का दर्शाया गया है।
केस नम्बर- 2 प्रतानगर निवासी एक व्यक्ति को निगम भूखंड को कामर्शियल मानकर दो लाख रुपए से अधिक का नोटिस दे दिया। जबकि सरकार के नियमों के तहत 300 गज से ऊपर के भूखंड को कामर्शियल और उससे नीचे को डोमेस्टिक माना गया है। जबकि उसका भूखंड 170 गज का है।
नगर निगम जयपुर राजस्व उपायुक्त मनोज कुमार वर्मा के अनुसार थर्ड पार्टी सर्वे के दौरान नोटिस देकर भूखंड मालिक से जवाब मांगा जाता है। इस दौरान जिन भूखंड मालिकों ने दस्तावेज पेश नहीं किए, यह समस्या उनके साथ ज्यादा आ रही है। क्योकि निगम उनके पास मौजूद रिकॉर्ड या सर्वे के दौरान नाप-जोख वाले डाटा के आधा पर यूडी टैक्स का नोटिस दिया जाता है। अगर किसी का गलत है तो वह दस्तावेज पेश कर दुरुस्त करवा सकता है। रहीं बात कम्पनी द्वारा वसूली करने की तो शिकायत आने पर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजेश