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नैनीताल, 21 नवंबर (हि.स.)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एनडीपीएस एक्ट के तहत निचली कोर्ट से दोषी ठहराए गए आरोपित की अपील लंबित रहने तक उसकी सजा को निलंबित कर दिया है। कोर्ट ने आरोपित को जमानत पर रिहा करने का आदेश भी दिया है।
शुक्रवार को न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता इसरार ने अपील दायर कर अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (एनडीपीएस अधिनियम) विकासनगर जिला देहरादून के 9 अप्रैल 2025 के निर्णय और आदेश को चुनौती दी थी। इस आदेश के तहत अपीलकर्ता को एनडीपीएस अधिनियम की धारा 8/20 के तहत दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई। अभियोजन पक्ष के अनुसार इसरार के पास अक्टूबर 2011 में चरस बरामद की गई थी। अपीलकर्ता के अधिवक्ता का कहना कि यह पूरा मामला झूठा है। अपीलकर्ता को बस से उतारकर झूठे तरीके से फंसाया गया है, जिसकी पुष्टि बस के चालक ने भी की है। उन्होंने कहा कि कथित रूप से बरामदगी चरस की कस्टडी स्थापित नहीं हुई है। मालखाना रजिस्टर में यह एंट्री नहीं है कि कथित तौर पर बरामद वस्तु को मजिस्ट्रेट के समक्ष जांच और फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) को भेजने के लिए कब निकाला गया और कब वापस जमा किया गया। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि अभियोजन पक्ष संदेह से परे अपने मामले को साबित करने में सक्षम रहा है। हालांकि, उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि मालखाना रजिस्टर में इस बात की कोई एंट्री नहीं है कि वस्तु को मालखाने से कब निकाला गया और कब वापस मालखाने में रखा गया। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि मालखाना रजिस्टर में इस बात की कोई एंट्री नहीं है कि वस्तु को फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजा गया था। इन तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने आरोपी की सजा को निलंबित रखते हुए उसे जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए।
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हिन्दुस्थान समाचार / लता