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दुमका, 2 नवंबर (हि.स.)। आखिरकार सरकारी सिस्टम से थकहार कर ग्रामीणों ने खुद अपने गांव की सड़क बनाने का काम रविवार को शुरू कर दिया है। ग्रामीणों ने प्रशासन के अनदेखी से विवश होकर जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड के जामुगड़िया पंचायत के दूधाजोल गांव के करीब 4 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण शुरू कर दिया है। दर्जनों ग्रामीण इस काम पर लग गए। उनके साथ गांव के ग्राम प्रधान जीतू टुडू और पंचायत के मुखिया गेब्रियल मरांडी भी मौजूद थे।
ग्रामीणों में काफी उत्साह और उमंग नजर आया। उन्हें खुशी है कि वर्षों से उन्हें जो आवागमन में परेशानी हो रही है, अब वह दूर होने वाली है। दरअसल दूधाजोल गांव से शिकारीपाड़ा प्रखंड मुख्यालय की दूरी लगभग 05 किलोमीटर है। इसमें 04 किलोमीटर की जो सड़क है। वह आज तक नहीं बनी। सड़क पथरीला और टूटा-फूटा हुआ है। इसमें काफी गड्ढे भी है। इस वजह से वाहनों का आगमन छोड़िए, पैदल चलना भी काफी मुश्किल भरा काम है।
यहां के मुखिया, ग्राम प्रधान और ग्रामीण सभी एक स्वर में कहते हैं कि हमने तो यहां के पूर्व विधायक नलिन सोरेन,जो वर्तमान में सांसद हैं। उनसे गुहार लगाई। वर्तमान विधायक आलोक सोरेन को भी कहा। जिला प्रशासन का भी ध्यान आकृष्ट कराया। इसके बावजूद आज तक गांव की सड़क नहीं बनी। गांव में एक एंबुलेंस तक नहीं जा पाता। जिससे मरीज खास तौर पर गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचने में काफी कठिनाई होती है।
बच्चे समय पर स्कूल नहीं जा पाते। आए दिन इस जर्जर सड़क की वजह से दुर्घटना के शिकार होते हैं। ऐसे में मुखिया गेब्रियल मरांडी ने बताया कि अंग्रेज के जमाने से भारत की आजादी के 75 वर्ष बीत गए। इसके बावजूद आज तक हमें एक अच्छा सड़क नसीब नहीं हुआ। इसी वजह से लोगों ने यह ठाना की इस सड़क को खुद से बनाना है। इसमें बाहर कहीं से कोई आर्थिक मदद नहीं ली गई है। ग्रामीण खुद मेहनत कर इस सड़क को बना रहे हैं। वैसे हम बता दे की ग्रामीणों का जो पक्की सड़क का था, वह पूरा नहीं हो रहा है। चुकी यह अगल-बगल के मिट्टी काटकर कच्ची सड़क ही बना रहे हैं। अब जिला प्रशासन और सरकार को चाहिए कि इस कच्ची सड़क को वह पक्की सड़क बना ग्रामीणों को सौंगात दे।
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हिन्दुस्थान समाचार / नीरज कुमार