गावों में छ्प्पर-बदलते समय के साथ लुप्त हो रही है देशी छांव की विरासत
अब नहीं दिखते पर्यावरण के लिए प्रभावी ''वो छप्पर
सीतापुर , 19 नवंबर (हि.स.)। कभी गांवों की पहचान रहे घास और पतावर से बने छप्पर अब इतिहास के पन्नों में दर्ज होते जा रहे हैं। मिट्टी की दीवारों पर टिकी यह देसी छत — जो गर्मी में ठंडी, सर्दी में गर्म
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