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मुंबई, 31 अक्टूबर (हि.स.)। महाराष्ट्र के मुंबई के पवई में गुरुवार को 17 बच्चों और दो वृद्ध नागरिकों को बंधक बनाने वाले आरोपित रोहित आर्या की पुलिस एनकाउंटर में हुई मौत को एडवोकेट नितिन सातपुते फर्जी बताया है। एडवोकेट नितिन सातपुते ने शुक्रवार को कहा कि इस एनकाउंटर की गहन छानबीन के लिए वे उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करेंगे।
एडवोकेट नितिन सातपुते ने शुक्रवार को पत्रकारों को बताया कि मुंबई के पवई इलाके में 17 बच्चों को बंधक बनाने वाले आरोपित रोहित आर्या के साथ मुंबई पुलिस की गई मुठभेड़ फर्जी थी। पुलिस रोहित आर्या के हाथ या पैर में गोली मार सकती थी। लेकिन एपीआई अमोल वाघमारे ने रोहित आर्या को सीने में गोली मारकर इसलिए मार डाला क्योंकि वह हीरो बनना चाहता था।
एडवोकेट नितिन ने सवाल खड़ा किया है कि क्या रोहित आर्या को गोली मारने के अलावा कोई और उपाय नहीं था? उन्होंने कहा कि डीसीपी दत्ता नलावड़े बचाव अभियान के दौरान रोहित आर्या से बात कर रहे थे। रोहित आर्या की पृष्ठभूमि के बारे में पता चलने के बाद पुलिस ने उनके परिवार से संपर्क क्यों नहीं किया? अगर आर्या पूर्व मंत्री केसरकर के संपर्क में था, तो इसकी जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने रोहित आर्या को दीपक केसरकर से बात क्यों नहीं करने दी?
मुंबई पुलिस ने इतना कठोर कदम क्यों उठाया? रोहित आर्या ने बच्चों को बंधक बनाकर रखा था। लेकिन सरकार ने इसके लिए परिस्थितियाँ पैदा कीं। इस घटना को टाला जा सकता था। रोहित आर्या ने सरकारी काम के लिए पैसे पाने के लिए भूख हड़ताल की थी। लेकिन, सरकार ने उसे पैसे नहीं दिए। रोहित आर्या आतंकवादी नहीं था, वह सरकारी काम कर रहा था, फिर उसे क्यों नहीं बचाया गया? नितिन ने कहा कि रोहित आर्या के पास पिस्तौल थी या नहीं, इस बारे में पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
डीसीपी दत्ता नलावड़े ने गुरुवार को कहा कि वे इस बात की जाँच करेंगे कि रोहित आर्या के पास बंदूक थी या नहीं। अगर उसके पास एयरगन होती भी, तो एयरगन से किसी की हत्या नहीं की जा सकती। पुलिस रोहित आर्या के हाथ या पैर में गोली मार सकती थी। पुलिस का कहना है कि हमने उसके पैर में गोली मारी, लेकिन वह अपने पैर से कुछ निकालने के लिए नीचे झुका और गोली उसकी छाती में जा लगी। एक छोटा बच्चा भी आपको बता देगा कि पुलिस का यह स्पष्टीकरण झूठा है।
एडवोकेट नितिन ने कहा कि पुलिसकर्मी अमोल वाघमारे हीरो बनना चाहता था और इसीलिए उसने यह एनकाउंटर किया। यह सराहनीय है कि पुलिस ने बच्चों को बचाया। इस तरह अपहरण की घटनाएं कई हो चुकी हैं। कांधार विमान अपहरण भी हुआ है। लेकिन एनकाउंटर में मारा गया व्यक्ति कोई अपराधी नहीं था। रोहित आर्या को एक फर्जी एनकाउंटर में मारा गया। इन सभी मामलों की जाँच होनी चाहिए और इसके लिए वह मुंबई उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करेंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजबहादुर यादव