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हरिद्वार, 31 अक्टूबर (हि.स.)। शनिवार यानि एक नवम्बर से फिर से शहनाई बजने लगेगी। शनिवार को चार मास बाद भगवान योग निद्रा से जाग जाएंगे। इसके साथ चार माह से चली आ रही भगवान शिव की सत्ता का हस्तांतरण हो जाएगा। भगवान विष्णु के जागने पर सभी प्रकार के मांगलिक कार्य आरम्भ हो जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि 1 नवम्बर को दवोत्थान उकादशी है। हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का अपना विशेष महत्व है। शास्त्रों के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं। इसके साथ ही सृष्टि का संचालन फिर से शुरू हो जाता है और बीते चार महीने से बंद चल रहे सभी मांगलिक कार्य फिर से प्रारंभ हो जाते हैं।
शास्त्रों के मुताबिक चार माह पूर्व देवशयनी एकादशी के साथ भगवान विष्णु योग निद्रा में चले गए थे। अब देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागृत होते हैं और इसी के साथ सभी प्रकार के मांगलिक कार्य आरम्भ हो जाते हैं। देवउठनी एकादशी इस साल 1 नवंबर को मनाई जाएगी। इसी दिन से शादी की शहनाई बजने लगेंगी। मान्यता के मुताबिक चातुर्मास के समय सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। पंचांग के मुताबिक नवंबर और दिसंबर 2025 में कुछ ऐसे भी दिन हैं जो विवाह के लिए काफी अधिक शुभ माने गए हैं।
पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री के मुताबिक देवउठनी एकादशी के बाद नवंबर का महीना विवाह के लिए काफी अनुकूल रहेगा। नवंबर में कुल 13 शुभ तिथियां मिल रही हैं, जिन पर विवाह शुभ माना गया है। नवंबर 2025 के विवाह मुहूर्त में 2 नवंबर, 3, 5, 8, 12, 13, 16 से 18 व 21 से 23, 25 व 30 नवंबर के विवाद के शुभ मुहुर्त हैं। इसके अलावा दिसंबर में शादी के मुहूर्त 4 से 6 दिसम्बर के ही बताए गए हैं। इस कारण से जहां नवम्बर माह में विवाह के मुहुर्त अधिक हैं वहीं दिसम्बर माह में पंचांग के मुताबिक तीन ही मुहुर्त बताए गए हैं।
देवोत्थान एकादशी पर भगवान विष्णु व तुलसी विवाह के आयोजन की भी शास्त्रों में मान्यता है। इस कारण से तीर्थनगरी में कई स्थानांे पर तुलसी विवाह के आयोजन की तैयारियां चल रही हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला