बुंदेलखंड को राज्य का दर्जा देने की मांग, प्रधानमंत्री काे खून से लिखेंगे पत्र
पिछले साल प्रधानमंत्री को भेजा गया पत्र


बांदा, 31 अक्टूबर (हि.स.)। बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के केंद्रीय अध्यक्ष प्रवीण कुमार पांडेय ‘बुंदेलखंडी’ ने घोषणा की है कि इस बार भी 1 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खून से खत लिखकर बुंदेलखंड को पुनः राज्य का दर्जा देने की मांग की जाएगी।

प्रवीण कुमार पांडेय ने शुक्रवार काे एक बयान जारी कर कहा कि यह खत सिर्फ कागज नहीं, बुंदेलों के सीने से निकली वह चीख है, जो 1956 से अब तक न्याय की प्रतीक्षा में है। उन्होंने बताया कि 1 नवंबर 1956 वह तारीख है जिसे बुंदेलखंडवासी कभी नहीं भूल सकते क्योंकि इसी दिन राज्य पुनर्गठन के नाम पर बुंदेलखंड का अस्तित्व मिटा दिया गया। समिति हर वर्ष इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाती है और प्रधानमंत्री को खून से खत भेजकर न्याय की मांग करती है। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद बुंदेलखंड एक स्वतंत्र राज्य था, लेकिन तत्कालीन नेहरू सरकार की गलती से उसे समाप्त कर दो राज्यों उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बाँट दिया गया।

बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के केंद्रीय अध्यक्ष पांडे ने बताया कि स्वतंत्रता के बाद बुंदेलखंड एक स्वतंत्र राज्य था, जिसकी राजधानी नौगांव (छतरपुर) और मुख्यमंत्री कामता प्रसाद सक्सेना थे। परंतु 1948 में पं. जवाहरलाल नेहरू ने राजनीतिक कारणों से बुंदेलखंड और बघेलखंड को मिलाकर विन्ध्य प्रदेश बना दिया। बाद में 1953 में फजल अली आयोग ने सिफारिश की कि बुंदेलखंड राज्य को समाप्त न किया जाए क्योंकि यह भौगोलिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से विशिष्ट इकाई है, लेकिन नेहरू सरकार ने इन सिफारिशों को अनदेखा कर 1 नवंबर 1956 को बुंदेलखंड को दो हिस्सों में बाँट कर एक हिस्सा मध्य प्रदेश और दूसरा हिस्सा उत्तर प्रदेश में मिला दिया। उन्हाेंने कहा कि 1 नवंबर को बुंदेलखंडवासी पूरे क्षेत्र में काला दिवस मनाएंगे और प्रधानमंत्री मोदी को खून से लिखा पत्र भेजेंगे, जिसमें यह मांग दोहराई जाएगी कि भारत के हृदय बुंदेलखंड को राज्य का दर्जा दिया जाए।

हिन्दुस्थान समाचार / अनिल सिंह