हॉकी इंडिया 7 नवंबर को मनाएगा भारतीय हॉकी के 100 वर्ष पूरे होने का जश्न
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष डॉ. दिलीप तिर्की


- भारतीय हॉकी के 100 स्वर्णिम वर्ष की उलटी गिनती शुरू, 500 से अधिक जिलों में होंगे आयोजन

नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (हि.स.)। भारतीय हॉकी ने 7 नवंबर, 1925 को अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) से संबद्धता प्राप्त की थी। इसी तारीख ने भारतीय खेल इतिहास में राष्ट्रीय गर्व की कहानी लिखी। तीन साल बाद 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक में भारत ने पहला स्वर्ण पदक जीतकर पूरी दुनिया को अपनी ताकत दिखाई और यहीं से शुरू हुआ हॉकी में भारत का स्वर्ण युग।

इन सौ वर्षों में भारतीय हॉकी ने कई उतार-चढ़ाव देखे, जिसमें थे सुनहरे दिन, कठिन दौर और फिर नई उड़ान। 1928 से 1959 का स्वर्णकाल भारत की खेल पहचान बना, 1980 और 90 के दशक ने उसकी परीक्षा ली और फिर आया पुनर्जागरण — टोक्यो 2020 का ऐतिहासिक कांस्य पदक और पेरिस 2024 में एक और पोडियम फिनिश ने नई ऊर्जा भरी। 1975 विश्व कप की जीत और एशियाई खेलों में पुरुषों व महिलाओं की अनगिनत उपलब्धियों ने इस खेल को भारतीय भावना का प्रतीक बना दिया।

अब 7 नवंबर 2025 को पूरा देश इस गौरवशाली सफर का उत्सव मनाएगा। मुख्य समारोह नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में होगा, जिसकी शुरुआत एक विशेष प्रदर्शनी मैच खेल मंत्री इलेवन बनाम हॉकी इंडिया मिक्स्ड इलेवन से होगी। इस मैच में पुरुष और महिला खिलाड़ी एक साथ खेलेंगे, जो खेल में समानता और समावेशिता का प्रतीक होगा। इस अवसर पर हॉकी के महान खिलाड़ियों को सम्मानित किया जाएगा। '100 इयर्स ऑफ इंडियन हॉकी” नामक स्मारक पुस्तक का विमोचन किया जाएगा और एक विशेष फोटो प्रदर्शनी भारत की हॉकी यात्रा 'एम्स्टर्डम से पेरिस तक' ध्यानचंद की कला से लेकर आधुनिक नायकों के जज्बे तक को जीवंत करेगी।

यह उत्सव केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा। यह 500 से अधिक जिलों में गूंजेगा, जहां 1,000 से अधिक मैच खेले जाएंगे और करीब 36,000 खिलाड़ी, स्कूलों से लेकर जमीनी स्तर के युवा, वरिष्ठ खिलाड़ी और सामुदायिक टीमें भाग लेंगी। यह स्मृतियों, उल्लास और नए संकल्पों का एक राष्ट्रीय उत्सव बनेगा।

हॉकी इंडिया के अध्यक्ष डॉ. दिलीप तिर्की ने कहा,“यह शताब्दी हमारे हॉकी के आत्मा का उत्सव है — हमारे नायकों, हमारी दृढ़ता और हमारे पुनर्जागरण का प्रतीक। जब हम 100 साल पूरे कर रहे हैं, तब हम अपने अतीत को नमन करते हुए आने वाली पीढ़ियों के लिए नए सपने बुन रहे हैं।”

महासचिव भोला नाथ सिंह ने जोड़ा,“हॉकी हमेशा भारत के लोगों का खेल रहा है। यह जश्न हर प्रशंसक, हर खिलाड़ी, हर कोच के लिए है जिसने इस भावना को जिंदा रखा। जब हम 500 से अधिक जिलों में यह उत्सव मना रहे हैं, तब हम केवल इतिहास नहीं मना रहे — हम भारतीय हॉकी के अगले सौ साल की नींव रख रहे हैं।”

जैसे-जैसे 7 नवंबर नजदीक आ रहा है, देशभर के स्टेडियम, स्कूल और मैदान सज-धज कर तैयार हैं — गर्व, यादों और नई ऊर्जा के इस ऐतिहासिक जश्न के लिए। एक सदी पूरी, और एक नया युग शुरू होने को है।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील दुबे