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झज्जर, 22 अक्टूबर (हि.स.)। बहादुरगढ़ से कांग्रेस के पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह जून ने प्रदेश सरकार और स्थानीय विधायक राजेश जून के एक साल के कार्यकाल पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि इस एक साल में बहादुरगढ़ अब तक की सबसे बदहाल स्थिति में पहुंच गया है। इसका सीधा कारण यहां के निर्दलीय विधायक की नाकामी, अहंकार और उनका भ्रष्टाचार है। चुनाव के दौरान एक महीने में बहादुरगढ़ की कायाकल्प करने का दावा करने वाले राजेश जून ने एक साल में यहां की अभूतपूर्व दुर्गति कर दी है।
पूर्व विधायक राजेंद्र जून ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि बहादुरगढ़ में विधायकी का फीता दो-दो नेताओं के हाथ में है। दोनों में श्रेय और पावर की होड़ मची है, जबकि जनता के मुद्दों पर कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले एक साल में भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी को खुली छूट दी गई है। वर्तमान विधायक जनसेवा नहीं, स्वार्थ की राजनीति कर रहे हैं। चुनाव से पहले राजेश जून पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गुणगान करता था। उन्होंने दावा किया कि इनकी कोई विचारधारा नहीं है, ये आगामी चुनाव से पहले फिर कांग्रेस में वापसी का प्रयास करेगा। पूर्व विधायक ने कहा कि यहां तक कि जो भी आमजन इनसे मिलने जाता है, उनके साथ ठीक से बात तक नहीं की जाती। इससे इनकी अहंकारी शैली साफ झलकती है। राजेंद्र जून ने कहा कि विधानसभा में विधायक राजेश ने कई मुद्दे उठाने का दावा किया था लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। बालौर गांव में करीब 50 एकड़ में अवैध कॉलोनी काटने का मामला विधायक ने उठाया था, मगर आज उस पर पूरी तरह चुप हैं। यह चुप्पी भ्रष्टाचार का संकेत है।
सीवर व्यवस्था और सड़कों की दुर्दशा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बरसात में बहादुरगढ़ डूबने की स्थिति में पहुंच गया था। आज हर कॉलोनी की सड़कें टूटी पड़ी हैं, सीवर ओवरफ्लो हो रहा है और नेता की लापरवाही से जनता परेशान है।
पूर्व विधायक ने कहा कि अपने कार्यकाल में उन्होंने 80 रिहायशी कॉलोनियों को वैध कराया था और उनमें सुविधाएं दिलाई थी, जबकि अब स्थिति यह है कि एक भी नई कॉलोनी वैध नहीं कराई गई, बल्कि गोदाम की जमीन पर अधिकारियों के साथ मिलकर गैर कानूनी रूप से प्लॉटिंग की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि विधायक राजेश ने चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के नाम पर वोट लिए, लेकिन सत्ता मिलने के बाद रातों रात बदल गए।
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हिन्दुस्थान समाचार / शील भारद्वाज