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चंडीगढ़, 21 अक्टूबर (हि.स.)। पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने 76 वकीलों को सीनियर एडवोकेट के तौर पर नॉमिनेट किया है। अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 16(2) के तहत इनकी चयन प्रक्रिया में कड़े नियम अपनाए गए हैं। अब इन सीनियर एडवोकेट को हर साल कुछ गरीबों के केस मुफ्त में लडऩे होंगे। वकीलों को वर्ष 2021 के बाद उच्च न्यायालय ने इस तरह का पहला पदनाम दिया है।
सीनियर एडवोकेट के लिए वर्ष 2024 में 210 आवेदन मिले थे। अब एक कमेटी ने बातचीत के बाद 64 उम्मीदवारों को मंजूरी दे दी, तथा पूर्ण न्यायालय ने अतिरिक्त 12 को मंजूरी दे दी। इस कदम से उच्च न्यायालय में सीनियर एडवोकेट की कुल संख्या 300 से अधिक हो गई है।
इन पदनामों के साथ मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों की ओर से एक प्रमुख शर्त जुड़ी है, प्रत्येक सीनियर एडवोकेट को प्रतिवर्ष कम से कम दस फ्री कानूनी सहायता मामलों का संचालन बिना फीस के करना होगा। कम से कम पांच महिला अधिवक्ताओं को भी सीनियर एडवोकेट बनाया गया है। इनमें पुनीत कौर सेखों, मोनिका छिब्बर, पूजा शर्मा (पूजा चोपड़ा), दिव्या शर्मा और प्रोमिला नैन के नाम शामिल हैं।
इनके अलावा राज कुमार शर्मा, आशित मलिक, रंजन कुमार हांडा, रवि सोढ़ी, अनिल मल्होत्रा, नरेशिंदर सिंह बोपाराय, जगदीश मनचंदा, अमित सेठी, अजनीश राज टक्कर, सुदीप महाजन, जसदीप सिंह तूर, सरतेज सिंह नरूला, मनीष जैन, सुखजिंदर सिंह बहल, सुकांत गुप्ता, इंदरपाल सिंह दोआबिया को सीनियर एडवोकेट के पद पर नॉमिनेट किया गया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा