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सोनीपत, 21 अक्टूबर (हि.स.)। दीपावली
के अवसर पर दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा के सोनीपत सहित आसपास के जिलों में लोगों ने जमकर
पटाखे फोड़े।दीपावली की अगली सुबह मंगलवार काे शहरों की हवा में धूल
और धुएं की मोटी परत छाई रही, जिससे सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन और सिरदर्द
जैसी शिकायतें आम हो गईं। गोहाना
के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सी.डी. शर्मा ने बताया
कि इस वर्ष ग्रीन पटाखों के नाम पर प्रदूषण में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। उनके अनुसार
लोग यह मान बैठे हैं कि ग्रीन पटाखे हानिकारक नहीं होते, जबकि ये भी साधारण पटाखों
की तुलना में लगभग सत्तर प्रतिशत तक प्रदूषण फैलाते हैं। उन्होंने कहा कि नीरी और वैज्ञानिक
तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) से अनुमति लेकर ही ग्रीन पटाखे बनाए जा सकते
हैं, परंतु सर्वोच्च न्यायालय का आदेश दीपावली से मात्र तीन दिन पहले आया, ऐसे में
पर्याप्त निर्माण और जांच की प्रक्रिया संभव नहीं हो सकी।
डॉ.
शर्मा ने बताया कि बाजारों में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध के बावजूद कई स्थानों
पर अवैध रूप से पटाखे बिकते रहे। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट आदेश
दिए थे कि केवल रात आठ से दस बजे तक ग्रीन पटाखे जलाए जा सकते हैं, परंतु सोनीपत, रोहतक,
पानीपत और दिल्ली के अनेक क्षेत्रों में आधी रात तक आतिशबाजी जारी रही।”
उन्होंने
बताया कि प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने नागरिकों के स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला है। डॉ.
शर्मा के अनुसार, दिल्ली में सूक्ष्म कण (पीएम 2.5) का स्तर 900 तक पहुंच गया, जबकि
इसकी सुरक्षित सीमा 500 मानी जाती है। गोहाना का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) भी
350 से 400 के बीच दर्ज हुआ, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति
में सुबह घर से बाहर सैर पर निकलना भी मुश्किल हो गया है।
चिकित्सक
ने बताया कि बढ़े हुए प्रदूषण के कारण बच्चों और बुजुर्गों में सांस की बीमारियां,
आंखों में जलन, त्वचा रोग और सिरदर्द जैसी दिक्कतें तेजी से बढ़ी हैं। यह हृदय और गुर्दे
के कार्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। डॉ. शर्मा ने कहा कि दीपावली हमारे जीवन
का सबसे बड़ा सांस्कृतिक पर्व है, जिसका उद्देश्य अज्ञानता और अंधकार को दूर कर ज्ञान
का प्रकाश फैलाना है।
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हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र शर्मा परवाना