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पूर्वी चंपारण,21 अक्टूबर (हि.स.)।
नये-नये खोज में प्रयासरत रहने वाले पर्यावरण प्रेमी डॉ प्रमोद स्टीफन ने मधुमक्खी पालन पर किये एक नये शोध के बाद इसे मानव जीवन के लिए बहुत हीं लाभकारी बताया है।
उन्होने बताया कि मधुमक्खियां केवल शहद उत्पादन का साधन नहीं,बल्कि कृषि व्यवस्था की रीढ़ भी हैं। वे फूलों का परागण कर फसलों की पैदावार को कई गुना बढ़ा देती हैं।शोध के अनुसार यदि मधुमक्खियां समाप्त हो जाएं तो दुनिया की एक-तिहाई फसलें नष्ट हो जाएंगी। कभी गांव की पगडंडियों के पेड़ों पर लटकते मधुमक्खियों के छत्ते आम बाते होती थी।लेकिन अब कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग,वनों की कटाई और प्रदूषण ने इन नन्हीं जीवों के अस्तित्व को संकट में डाल दिया है।
डा.स्टीफन ने मधुमक्खी संरक्षण के महत्व को रेखांकित करने को लेकर पूर्वी चंपारण जिले के सुगौली प्रखंड के बंगरा स्थित मल्टी एग्रो प्रोडक्ट्स विलेज में एक विशेष कार्यक्रम का भी आयोजन कराया। जिसका उद्घाटन एसपीएन कॉलेज के सेवानिवृत्त प्राचार्य प्रो शत्रुघ्न पाठक ने किया। कार्यक्रम में समाजसेवी अजहर हुसैन अंसारी ने बताया कि यहाँ मधुमक्खी पालन के लिए बीस आधुनिक बक्सों की व्यवस्था की गई है।जिसकी बनावट ऐसी है कि चींटियाँ,छिपकलियाँ या अन्य कीट मधुमक्खियों को नुकसान न पहुँचा सकें। छत पर एस्बेस्टस और बाँस के ढाँचे के साथ धूप घड़ी लगाई गई है।मौके पर पहुंचे जिले के वरिष्ठ पत्रकार अशोक वर्मा,आशा रानी लाल,लिली स्टीफन, पिंकी कुमारी,डॉ प्रवीण स्टीफन सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। डॉ स्टीफन ने कहा कि बाँस या लकड़ी के छोटे छत्तों से ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन आसानी से शुरू किया जा सकता है। इससे न केवल शुद्ध शहद का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। उन्होंने लोगों से अपील की कि यदि हमें हरियाली और कृषि दोनों को बचाना है तो मधुमक्खियों का संरक्षण हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।
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हिन्दुस्थान समाचार / आनंद कुमार