मतदान पूर्व और मतदान दिवस पर मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति द्वारा प्रिंट विज्ञापनों का पूर्व-प्रमाणन
अंता में उप चुनाव।


जयपुर, 21 अक्टूबर (हि.स.)। निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा के चुनाव और आठ विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनावों की तारीखों की घोषणा कर दी है। अंता विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान की तिथि 11 नवंबर (मंगलवार) निर्धारित की गई हैं।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवीन महाजन ने बताया कि निष्पक्ष प्रचार का वातावरण सुनिश्चित करने के लिए, कोई भी राजनीतिक दल, उम्मीदवार, संगठन या व्यक्ति मतदान के दिन और मतदान के एक दिन पहले प्रिंट मीडिया में कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा, जब तक कि सामग्री राज्य या जिला स्तर पर मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति (एमसीएमसी) द्वारा पूर्व-प्रमाणित न हो। अंता विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रतिबंधित दिन 10 व 11 नवंबर तय हैं।

प्रिंट मीडिया में राजनीतिक विज्ञापनों के लिए पूर्व-प्रमाणन चाहने वाले आवेदकों को विज्ञापन के प्रकाशन की प्रस्तावित तिथि से दो दिन पहले एमसीएमसी में आवेदन करना होगा।

समय पर पूर्व-प्रमाणन की सुविधा के लिए, राज्य या जिला स्तर पर एमसीएमसी को सक्रिय किया गया है ताकि ऐसे विज्ञापनों की जांच और पूर्व-प्रमाणन किया जा सके तथा यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्णय शीघ्रता से लिए जाएं।

पहली बार त्रिकोणीय मुकाबला, जातिगत समीकरण बनेगा जीत-हार का आधार

बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर इस बार चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प है। साल 2008 के परिसीमन के बाद बनी इस सीट पर पहली बार त्रिकोणीय मुकाबला है। यहां जातिगत समीकरण ही चुनावी परिणाम का सबसे बड़ा फैक्टर बनने जा रहे हैं।

भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार तीनों ही अपने-अपने जातीय वोट बैंक को मजबूत करने में जुटे हैं।

भाजपा ने माली-सैनी समाज के प्रभाव को देखते हुए बारां पंचायत समिति के प्रधान मोरपाल सुमन को मैदान में उतारा है।

वहीं, कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर नरेश मीणा ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मीणा समाज के वोट बैंक को साधने की कोशिश की है।

कांग्रेस ने एक बार फिर पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया पर भरोसा जताया है, जिनकी पकड़ शहरी और पारंपरिक वोटरों पर मजबूत मानी जाती है। अंता विधानसभा में करीब सवा दो लाख मतदाता हैं, जिनमें चार प्रमुख जातियां निर्णायक भूमिका निभाती हैं।

इनमें लगभग 40 हजार माली समाज, 35 हजार अनुसूचित जाति (एससी), 32 हजार मीणा समाज और 20 से 25 हजार मुस्लिम मतदाता शामिल हैं।

इसके अलावा धाकड़, ब्राह्मण, बनिया और राजपूत समाज के वोट भी जीत का अंतर तय कर सकते हैं।

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, यहां जातिगत गठजोड़ ही जीत की चाबी है। जिस प्रत्याशी के पक्ष में इन समुदायों की हवा चलेगी, वही विजेता बनकर उभरेगा। अंता सीट पर माली समाज की संख्या सबसे अधिक है, लेकिन केवल उनके वोट से जीत संभव नहीं।

माली-मीणा-एससी और मुस्लिम वोटों का गठजोड़ ही निर्णायक साबित होगा।

भाजपा ने माली समाज और स्थानीय उम्मीदवार को उतारकर अपने पारंपरिक वोट बैंक को मजबूत करने का प्रयास किया है।

वहीं, कांग्रेस अपने मीणा, एससी और मुस्लिम वोट बैंक पर भरोसा कर रही है, जो बीते चुनावों में उनके साथ रहा है।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / रोहित