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नई दिल्ली, 5 अगस्त (हि.स.)। दिल्ली विधानसभा के मानूसन सत्र में मंगलवार को दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025 पर चर्चा हुई। शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य निजी अनुदानरहित स्कूलों में फीस ढांचे को पारदर्शी, पूर्वानुमेय और जवाबदेह बनाना है। यह विधेयक एक तीन-स्तरीय प्रणाली के माध्यम से स्कूलों में फीस निर्धारण की प्रक्रिया को पारदर्शी और भागीदारीपूर्ण बनाएगा। स्कूल स्तर पर समिति, जिला स्तरीय अपीलीय समिति और राज्य स्तरीय पुनरीक्षण समिति इन समितियों में अभिभावक, शिक्षक और स्कूल प्रबंधन की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी।
शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि छात्रों पर फीस न देने पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकेगी। अगर कोई स्कूल ऐसा करता है तो उस पर प्रति छात्र 50,000 रुपये का जुर्माना लगेगा, जो 20 दिन बाद दोगुना और फिर अगले 20 दिन में तीन गुना हो सकता है। यदि स्कूल फीस नियमों का लगातार उल्लंघन करता है तो 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। गंभीर मामलों में शिक्षा निदेशक स्कूल की मान्यता निलंबित कर सकते हैं या प्रबंधन अपने हाथ में ले सकते हैं। सूद ने कहा कि यह विधेयक मनमानी फीस वृद्धि पर रोक लगाएगा और निजी शिक्षा में पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा। इससे अभिभावकों को निर्णय प्रक्रिया में लोकतांत्रिक भागीदारी मिलेगी।
विधेयक की मुख्य बातें : (तीन-स्तरीय समिति प्रणाली) स्कूल स्तर समिति : हर साल बनेगी और स्कूल की फीस प्रस्ताव का मूल्यांकन करेगी। जिला अपीलीय समिति : स्कूल समिति के निर्णयों पर अपील की सुनवाई। राज्य पुनरीक्षण समिति : इसका निर्णय अगले तीन शैक्षणिक वर्षों तक बाध्यकारी होगा।
समितियों की समावेशी रचना
स्कूल स्तर समिति में होंगे : स्कूल प्रबंधन का एक प्रतिनिधि (अध्यक्ष), प्रिंसिपल (सचिव), तीन शिक्षक, पांच अभिभावक (लॉटरी से चयन) जिनमें कम से कम (एक एससी/एसटी/पिछड़ा वर्ग से) दो महिलाएं, शिक्षा निदेशक का एक प्रतिनिधि, अभिभावक अधिकतम दो कार्यकाल तक समिति में रह सकेंगे। तीन वर्षों के लिए फीस स्थिरता, स्वीकृत फीस ढांचा तीन वर्षों तक अपरिवर्तित रहेगा। दंडात्मक कार्रवाई पर रोक : फीस न भरने पर छात्र का नाम काटना, परिणाम रोकना, कक्षा या सह-शैक्षणिक गतिविधियों में रोक, सार्वजनिक अपमान या मानसिक उत्पीड़न यह सभी स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित हैं।
जुर्माना और प्रवर्तन प्रावधान : प्रति छात्र 50,000 रुपये जुर्माना, सामान्य उल्लंघनों पर 10 लाख रुपये तक जुर्माना, लगातार उल्लंघन पर जुर्माना दुगना या तिगुना।
शिक्षा निदेशक के अधिकार : मान्यता निलंबित करना, आवश्यकता होने पर स्कूल प्रबंधन अपने अधीन लेना। इन स्थितियों में फीस बढ़ोतरी प्रतिबंधित : मान्यता निलंबन की स्थिति में, यदि कर्मचारियों को वेतन नियमानुसार नहीं मिल रहा, यदि स्कूल फंड का दुरुपयोग पाया गया, समयबद्ध शिकायत निवारण सभी समितियों को 30 दिन के भीतर शिकायतों का समाधान करना अनिवार्य होगा।
सदन में विपक्ष के नेताओं ने इस विधेयक का विरोध करते हुए इसे निजी स्कूलों को फायदा पहुंचने वाला बताया।
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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव