दिल्ली विधानसभा में फांसी घर का शिलापट्ट लगाकर उसका उद्घाटन करना गंभीर मुद्दा : विजेंद्र गुप्ता
दिल्ली विधानसभा परिसर में स्थित कथित फांसी घर (फाइल फोटो)


नई दिल्ली, 05 अगस्त (हि.स.)। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने मंगलवार को सदन में कहा कि दिल्ली विधानसभा में फांसी घर और सुरंग को लेकर वर्षों तक झूठ चलता रहा है, लेकिन यह पूर्णता असत्य है। उन्होंने कहा कि जिस स्थान को आज फांसी घर कहकर प्रचारित किया गया, वह कोई साधारण विषय नहीं है, वह इस पूरे परिसर की गरिमा से जुड़ा हुआ मामला है। इस स्थान पर एक शिलापट्ट लगाकर उसका उद्घाटन किया गया, तो यह विषय और भी गंभीर हो जाता है। इसपर विपक्ष अपनी स्थिति स्पष्ट करे।

विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि जहां डिलिब्रेशन होता है, वहां पार्लियामेंट होती है, जहां असेंबली होती है- उसी प्रांगण में फांसीघर कैसे हो सकता है? यह सवाल स्वाभाविक है। दूसरी बात कही गई कि इस परिसर में कोई सुरंग जाती है। हमने इस पर इतिहासकारों से बात की, तो उन्होंने बताया कि यह कोई सुरंग नहीं है। असल में यह डक्टिंग है- वेंटिलेशन के लिए बनाई गई जगह। उस समय सीमित संसाधन थे और जब इस तरह के भवन जमीन के नीचे बनाए जाते थे तो वेंटिलेशन के लिए डक्टिंग छोड़ी जाती थी। यह सिर्फ यहां नहीं भारत की संसद में भी इसी तरह के स्थान बनाए गए हैं।

अब बात उस स्थान की जिसे फांसीघर कहा गया- हमने देखा कि बाकायदा एक शिलापट्ट लगाया गया, जिसमें 9 अगस्त 1942 का उल्लेख है और 9 अगस्त इसका उद्घाटन किया गया, यह कहते हुए कि यह एक दर्शनीय स्थल है और यहां फांसीघर हुआ करता था जबकि सच ये है कि वहां कोई फांसीघर नहीं था और न है। जो कमरा बताया गया है, वह असल में टिफिन रूम है। उसमें जो लकड़ी की लिफ्ट है, उसे फांसी का फंदा और ट्रेप डोर बताया गया, जबकि वह भोजन आदि उठाने-ले जाने के लिए बनाई गई थी।

विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट का जो कमरा है, वह नक्शे में वायसराय रूम के नाम से दिखाया गया है। उसके आगे स्मोकिंग रूम है। इसी तरह मेंबर्स रूम हैं। उस समय सरकार में मंत्री नहीं होते थे बल्कि मेंबर फाइनेंस, मेंबर एजुकेशन जैसे पद होते थे, उनके कमरे भी हैं। नक्शे पर हर कमरे के उपयोग का स्पष्ट उल्लेख है।

आम आदमी पार्टी के विधायक जरनैल सिंह ने सदन में चैट जीपीटी का हवाला देते हुए कहा कि विधानसभा में फांसीघर है। जरनैल सिंह ने कहा कि ब्रिटिशकाल के काले कारनामों को छिपाने के लिए ये किया जा रहा है। इसके जवाब में लोक निर्माण विभाग के मंत्री प्रवेश वर्मा ने कहा कि चैट जीपीटी इस फांसीघर को पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल हवाले से बता रहा है। इस पर सदन में कुछ समय के लिए हंगामा भी हुआ। सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर हमले करने लगे। विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर चर्चा अगले दिन आगे बढ़ा दी और नियम 280 के तहत मुद्दे उठाने के लिए सदस्यों को कहा।

उल्लेखनीय है कि आम आदमी पार्टी की सरकार के समय यह शिलापट्ट लगाकर उद्घाटन किया गया था, जो अब विपक्ष में है।

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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव