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काठमांडू, 04 अगस्त (हि.स.)। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने नेपाल में राजतंत्र की वापसी के लिए दिल्ली में हुए समझौते को ऐतिहासिक भूल बताया है। उन्होंने कहा कि उस समझौते के बाद ही नेपाल में 56 सालों तक राजतंत्र कायम रहा और देश की जनता को दुख सहना पड़ा।
काठमांडू में रविवार को एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि विक्रम संवत 2007 में जब नेपाल के तत्कालीन राजा त्रिभुवन देश छोड़ कर भारत में शरण ली थी, उसी समय उनको नेपाल में लाकर स्थापित करना गलत था। ओली ने कहा कि उस समय दोबारा नेपाल बुलाकर नेपाल में स्थापित किए गए राजतंत्र के कारण नेपाल की जनता को 56 वर्ष तक राजतंत्र के अधीन रहना पड़ा। प्रधानमंत्री ओली ने कहा कि हालांकि, यह गलती हमारे पूर्वजों ने की थी, लेकिन वह लोकतंत्र की दृष्टि से एक ऐतिहासिक भूल साबित हुई।
उन्होंने कहा कि विक्रम संवत 2063 तक नेपाल की जनता पर शाह राजवंश का शासन रहा, जिसे नेपाली जनता के संघर्ष के बाद हटाया गया। ओली ने कहा कि अब दोबारा नेपाल में राजतंत्र की स्थापना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि ज्ञानेन्द्र नेपाल के असली राजा नहीं हैं, बस बदली हुई परिस्थिति के कारण ज्ञानेन्द्र शाह को राजा मानने पर हम मजबूर हुए। प्रधानमंत्री ने कहा कि जो गलतियां हमारे पूर्वजों ने की थी, वही गलती हम नहीं करने वाले हैं और न हमारी आने वाली पीढ़ी कर सकती है। नेपाल में असली राजवंश का विनाश हो चुका है और किसी को भी राजा मानना अब हमारी मजबूरी नहीं है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास