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काठमांडू, 03 अगस्त (हि.स.)। भारत ने संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत नेपाल में चावल की आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को मजबूत करने के लिए एक परियोजना शुरू की है। नेपाल में यह परियोजना 12 महीनों के भीतर तीन चरणों में पूरी की जाएगी। पहले चरण में आवश्यकताओं का मूल्यांकन और हितधारकों की भागीदारी शामिल होगी। दूसरे चरण में नेपाली अधिकारियों के लिए भारत की अध्ययन यात्रा, व्यावहारिक प्रदर्शन और विशेषज्ञ ब्रीफिंग की पेशकश शामिल होगी। अंतिम चरण में कार्य योजना तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
काठमांडू में भारतीय दूतावास ने एक बयान में बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के साथ ज्ञान के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाकर नेपाल की मजबूत चावल आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण अंतराल को दूर करना है। यह पहल प्रभावी खाद्य आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों के उपयोग को भी बढ़ावा देगी। दूतावास ने कहा कि परियोजना के प्रमुख फोकस क्षेत्रों में लाभार्थी प्रबंधन, भंडारण, वितरण मॉडल, निगरानी, मूल्यांकन प्रणाली और शिकायत निवारण तंत्र शामिल हैं।
यह पहल भारतीय विदेश मंत्रालय ने 01 अगस्त को नई दिल्ली में शुरू की थी। इसकी घोषणा पहली बार सितंबर, 2023 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के दौरान की गई थी। इस परियोजना के तहत प्रशिक्षण भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम के माध्यम से आयोजित किया जाएगा। दूतावास के अनुसार 2001 से अब तक 3,000 से अधिक नेपाली अधिकारियों ने आईटीईसी ढांचे के तहत भारत में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। दूतावास ने कहा कि यह भारत और नेपाल के बीच बढ़ती विकास साझेदारी को दर्शाता है और नवाचार और सहयोग के माध्यम से लचीली खाद्य प्रणालियों के निर्माण के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को उजागर करता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास