हिमाचल प्रदेश में फिर भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट, लाहौल-स्पीति में पुल बहा, 2 नेशनल हाइवे व 305 सड़कें बंद
शिमला में भूस्खलन


शिमला, 3 अगस्त (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में मॉनसून का कहर जारी है। मौसम विभाग ने अगले दो दिन यानी 4 और 5 अगस्त को राज्य के कई हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। आज भी शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों के लिए भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है।

बीती रात बिलासपुर और मंडी जिलों में तेज बारिश हुई। सबसे ज्यादा बारिश बिलासपुर के भराड़ी में 108 मिमी दर्ज की गई। मंडी के मुरारी देवी में 82 मिमी, नैना देवी में 74 मिमी, मेलरान में 56 मिमी, ब्राहमणी में 45 मिमी, बीबीएमबी में 39 मिमी और ऊना में 38 मिमी वर्षा हुई।

उधर, जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति के उदयपुर उपमंडल के दरेड नाले में आई बाढ़ से उदयपुर–तिंदी–पांगी–किलाड़ को जोड़ने वाला एकमात्र पुल बह गया। इससे सड़क मार्ग पूरी तरह बंद हो गया है। चम्बा जिले की चड़ी पंचायत में भू-स्खलन से स्वास्थ्य केंद्र की बिल्डिंग को नुकसान पहुंचा है। पंचायत उप प्रधान पविंद्र कुमार के अनुसार इस भू स्खलन से नीचे बस रहे गांव के करीब 40 परिवारों पर भी खतरा मंडरा रहा है।

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार भारी बारिश और भूस्खलन से रविवार सुबह तक प्रदेश में दो राष्ट्रीय राजमार्ग और 305 सड़कें बंद हैं। लाहौल-स्पीति में ग्रामफू–बताल जाने वाला एनएच-505 चातरु के पास और कुल्लू में एनएच-305 झेड के पास बाधित है। मंडी में 156 सड़कें, कुल्लू में 67, चम्बा में 41 और कांगड़ा में 27 सड़कें बंद पड़ी हैं।

बारिश से बिजली और पानी की आपूर्ति पर भी असर पड़ा है। प्रदेश में 284 बिजली ट्रांसफार्मर ठप हो गए हैं। अकेले कुल्लू में 178 ट्रांसफार्मर, चम्बा में 72 और मंडी में 33 ट्रांसफार्मर बंद हैं। पेयजल योजनाओं में भी बड़ी समस्या आई है। चम्बा में 88, कांगड़ा में 60 और मंडी में 58 स्कीमें प्रभावित हुई हैं।

अब तक मानसून में भारी तबाही हुई है। 20 जून से शुरू हुए मानसून सीजन में 179 लोगों की मौत हो चुकी है, 289 लोग घायल और 36 लोग अभी भी लापता हैं। सबसे ज्यादा मौतें मंडी में 37, कांगड़ा में 29, कुल्लू में 18, चम्बा में 17, शिमला में 15, सोलन में 12, हमीरपुर, किन्नौर और ऊना में 11-11, बिलासपुर में 8, लाहौल-स्पीति में 6 और सिरमौर में 4 हुई हैं।

राज्य में बादल फटने अब तक 28, फ्लैश फ्लड की 51 और भूस्खलन की 45 घटनाएं हो चुकी हैं। मंडी जिले में सबसे ज्यादा 16 बादल फटने, 12 भूस्खलन और 11 फ्लैश फ्लड की घटनाएं हुई हैं।

मॉनसून सीजन में भारी बारिश से करीब 1600 घरों को नुकसान हुआ है, जिनमें 450 घर पूरी तरह ढह गए हैं। अकेले मंडी जिले में 1077 घरों को नुकसान और 386 घर पूरी तरह तबाह हो चुके हैं। इसके अलावा 296 अन्य घर और 1445 पशुशालाएं भी प्रभावित हुई हैं। इस मानसून में 1533 पशुओं और 21520 पोल्ट्री पक्षियों की मौत भी हुई है।

प्रदेश को अब तक 1692 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। सबसे ज्यादा नुकसान लोक निर्माण विभाग को 865 करोड़ और जल शक्ति विभाग को 580 करोड़ रुपये का हुआ है।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा