लॉटरी फिर शुरू करने के फैसले पर भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर साधा निशाना
लॉटरी फिर शुरू करने के फैसले पर भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर साधा निशाना


शिमला, 03 अगस्त (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी शिमला जिलाध्यक्ष केशव चौहान ने प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा लॉटरी को पुनः आरंभ करने के फैसले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि चार दिवसीय महामंथन मंत्रिमंडल बैठक का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय प्रदेश को दोबारा बर्बादी की राह पर धकेल देगा।

चौहान ने रविवार को कहा कि हिमाचल ने बड़ी मुश्किल से लॉटरी नाम की बीमारी से छुटकारा पाया था, जिसे कांग्रेस ने फिर से वापस बुला लिया है। उन्होंने याद दिलाया कि 17 अप्रैल 1996 को उच्च न्यायालय ने सिंगल डिजिट लॉटरी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद 1998 में जब प्रो. प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री बने तो 1999 में भाजपा सरकार ने पूरे प्रदेश में लॉटरी सिस्टम बंद करने का ऐतिहासिक फैसला लिया था।

भाजपा नेता ने कहा कि यह सिर्फ एक निर्णय नहीं, बल्कि प्रदेश को आर्थिक और सामाजिक बर्बादी से बचाने की दूरदर्शी सोच थी। उस समय हजारों कर्मचारी, सेवानिवृत्त, मजदूर और युवा लॉटरी के चक्कर में अपनी तनख्वाह, पेंशन और बचत गंवा चुके थे। कई परिवार तबाह हो गए थे, इसलिए जनहित में इसे पूरी तरह बंद किया गया था।

उन्होंने कहा कि 2004 में कांग्रेस सरकार ने फिर से लॉटरी शुरू की, लेकिन बाद में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी इसे अभिशाप मानते हुए प्रतिबंधित कर दिया था। उस समय भी इससे प्रदेश को सिर्फ चार-पांच करोड़ रुपये की मामूली आमदनी होती थी।

चौहान ने चिंता जताई कि वर्तमान में प्रदेश में करीब 2.3 लाख कर्मचारी और 9 से 10 लाख बेरोजगार युवा हैं, जिनका जीवन इस लॉटरी प्रथा से खतरे में पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले एक लाख युवाओं को और पांच साल में पांच लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अब हिमाचल शराब, चिट्टा, भांग, नशा और लॉटरी का गढ़ बनता जा रहा है।

भाजपा ने इस फैसले को जनविरोधी करार देते हुए सरकार से मांग की कि इसे तुरंत वापस लिया जाए, ताकि प्रदेश को दोबारा बर्बादी की ओर जाने से बचाया जा सके।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा