तुलसी जयंती पर याद किए गए बाबा तुलसी, हिंदी विद्वानों ने की मानस पर चर्चा
फोटो - जयंती पर चर्चा करते लोग


- मानस की प्रत्येक चौपाई जीवन का मार्गदर्शक — डॉ. उमेश दीक्षित

- रामचरितमानस' को बताया गया ज्ञान और नैतिकता का भंडार

औरैया, 01 अगस्त (हि. स.)। जनपद के बाबरपुर कस्बे के मनकामेश्वर मंदिर गुरुवार को देर रात्रि पर तुलसी जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में हिंदी साहित्य के विद्वानों ने महाकवि गोस्वामी तुलसीदास के जीवन एवं कृतित्व पर विस्तृत चर्चा की।

कार्यक्रम का शुभारंभ मानस सम्मेलन समिति के अध्यक्ष डॉ. उमेश दीक्षित द्वारा बाबा तुलसी और भगवान के विग्रहों पर पुष्प अर्पण के साथ हुआ। इसके उपरांत समिति के वरिष्ठ पदाधिकारियों—डॉ. राम दर्शन कठेरिया, कोषाध्यक्ष राम अवतार गुप्ता, सतीश चंद्र पांडे, लाल जी पोरवाल और मुन्ना सिंह चौहान ने आमंत्रित विद्वानों कैलाश त्रिपाठी व आचार्य पंडित भगवानदास त्रिपाठी का माल्यार्पण कर स्वागत किया।

हिंदी विद्वान कैलाश त्रिपाठी ने कहा कि बाबा तुलसी ने रामचरितमानस के माध्यम से समाज को दिशा देने का महान कार्य किया। उन्होंने बताया कि तुलसीदास को इस ग्रंथ की रचना में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जिसमें एक प्रति की चोरी भी शामिल थी। उन्होंने एक प्रति राजा टोडरमल के यहां सुरक्षित रखी थी।

भागवताचार्य पंडित भगवानदास त्रिपाठी ने रामचरितमानस को दुनिया का महान ग्रंथ” बताते हुए कहा कि इसमें राम को एक आदर्श राजा, पुत्र, पति और भाई के रूप में प्रस्तुत कर समाज को सत्य, धर्म और मर्यादा का मार्ग दिखाया गया है।

- कार्यक्रम के दौरान डॉ. उमेश दीक्षित ने मानस की प्रसिद्ध चौपाई - जे एहि कथहि सनेह समेता। कहिहहिं सुनिहहिं समुझि सचेता।।

होइहहिं राम चरन अनुरागी। कलि मल रहित सुमंगल भागी।।

का विश्लेषण करते हुए कहा कि रामचरितमानस की प्रत्येक चौपाई एक ज्ञानवर्धक “मोबाइल ऐप” की तरह है, जो जीवन के हर मोड़ पर मार्गदर्शन करती है।

उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे रामचरितमानस की चौपाइयों को गूगल ऐप्स की तरह अपने जीवन में उतारें, जिससे उन्हें न केवल ज्ञान और विज्ञान की समझ मिलेगी बल्कि अपने लक्ष्य तक पहुंचने का मार्ग भी मिलेगा। मानस की चौपाइयां गूढ़ ज्ञान से परिपूर्ण हैं। ये चौपाइयां जीवन जीने की शैली सिखाती हैं। समाज को सही दिशा देने में सहायक हैं।

कार्यक्रम में नादान वर्मा, सुरेंद्र गुप्ता, विष्णु तिवारी, नारायण मिश्रा, राम कुमार पोरवाल, विशंभर सोनी, छुन्नू गुप्ता सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु व साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

हिंदुस्थान समाचार / सुनील कुमार

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील कुमार