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गुवाहाटी, 31 जुलाई (हि.स.)। असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नगालैंड के चार प्रमुख व्यक्तियों को मणिपुर इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी द्वारा प्रतिष्ठित ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों में असम के मोरीगांव जिलांतर्गत रुपहीबाड़ी निगम के कुशल राज मिस्त्री नीलकंता दास शामिल हैं। यह सम्मान उन्हें 30 जुलाई को गुवाहाटी में आयोजित विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान प्रदान किया गया। उनके ग्रामीण स्वरोज़गार और निर्माण एवं बढ़ईगीरी के क्षेत्र में कौशल-आधारित आजीविका सृजन में उल्लेखनीय योगदान के लिए यह सम्मान प्रदान किया गया।
नीलकंता दास साधारण परिवार से आते हैं। उन्होंने वर्षों की मेहनत और समर्पण से मिस्त्री और बढ़ईगिरी के कार्य में महारत हासिल की है। उन्होंने न केवल स्वयं के लिए सफल करियर बनाया, बल्कि अपने समुदाय को भी सशक्त किया। उन्होंने 35 सहायकों को प्रशिक्षित कर रोज़गार उपलब्ध कराया, जिससे मोरीगांव और आस-पास के ज़िलों के कई परिवारों को स्थायी आजीविका मिली। उनके कार्यक्षेत्र में आवासीय भवन, सरकारी स्कूल भवन, सामुदायिक भवन और सीमा दीवारें शामिल हैं। गुणवत्ता, समय पर निर्माण और प्रभावी टीम प्रबंधन के लिए वे विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। उनका सफर साधारण शुरुआत से लेकर निर्माण क्षेत्र के एक सम्मानित व्यक्तित्व बनने तक, ग्रामीण उद्यमिता का प्रेरक उदाहरण है।
वहीं सम्मानित होने वालों में अरुणाचल प्रदेश की नावांग चोंजोम (ग्यांगखर गांव, तवांग) भी शामिल हैं। चोंजोम ने 2007 से 2023 तक तवांग के दूरस्थ गांवों में प्राथमिक विद्यालय शिक्षिका के रूप में सेवा दी और साथ ही जमीनी स्तर पर ग्रामीण समुदायों के उत्थान के लिए कार्य किया। उन्होंने जैविक खेती को बढ़ावा देने की पहल की, महिलाओं को स्व-सहायता समूहों (एसएचजीएस) में संगठित किया, किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसीएस) के गठन में सहयोग दिया, पूरे भारत में विपणन नेटवर्क बनाए और किसानों व महिला उद्यमियों के लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए। उनके प्रयासों से 500 से अधिक किसानों को सशक्त बनाया गया, ऑफ-सीजन विदेशी सब्जियों की खेती को आश्वस्त खरीद व्यवस्था के साथ शुरू किया गया, पारंपरिक बुनाई और कताई के कार्य को संरक्षित किया गया, तथा स्वदेशी कृषि और खाद्य उत्पादों को बड़े बाजारों तक पहुंचाया गया।
इसी कड़ी में नगालैंड की अनातोंग्रे गांव, किफ़िरे ज़िले की प्रेरणादायक उद्यमी वाई. एस्थर फ्रांसिस संगताम को भी उपरोक्त सम्मान से सम्मानित किया गया। एस्थर की यात्रा जमीनी स्तर के नवाचार, दृढ़ता और नेतृत्व का अद्वितीय उदाहरण है। पारंपरिक खाद्य प्रसंस्करण विधियों जैसे सुखाना और अचार बनाना से शुरुआत करते हुए, उन्होंने अपने जुनून को एक सफल कृषि-व्यवसाय में बदल दिया। केवीके किफ़िरे के तहत वैज्ञानिक प्रशिक्षण के माध्यम से उन्होंने आधुनिक संरक्षण तकनीकें, उत्पाद विविधीकरण, आकर्षक पैकेजिंग और बाज़ार तक पहुंच बनाने की कला में महारत हासिल की। आज उनका उद्यम केले के चिप्स, मिर्च का अचार, अदरक की कैंडी, जंगली सेब की कैंडी, जैम और अन्य कई उत्पादों का निर्माण करता है, जो उनके गांव से बाहर भी बाज़ारों में पहुंचते हैं और स्वदेशी ज्ञान व परंपरा की खुशबू समेटे रहते हैं।
मणिपुर की मिस कैथरीन सोयामफी ए.एस., सीईओ सोयाम प्रोडक्ट्स, को एमआईयू द्वारा प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की उपाधि प्रदान की गई। मिस कैथरीन सोयामफी ए.एस. आत्मनिर्भरता और जमीनी उद्यमिता का प्रतीक बनकर उभरी हैं। उनकी प्रेरणा उनकी मां एंजेला से मिली, जिन्होंने 2009 में पारिवारिक व्यवसाय की शुरुआत की थी। कोविड-19 महामारी के दौरान, कैथरीन ने चुनौतियों को अवसरों में बदला और बागवानी, वन के फलों का संग्रहण और वैल्यू-एडेड उत्पादों के विकास में सक्रिय रूप से भाग लिया। सोयाम प्रोडक्ट्स में उनके नेतृत्व ने स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिया, विपणन चैनलों को सशक्त किया और विशेषकर ग्रामीण मणिपुर की महिलाओं के लिए आजीविका के अवसर पैदा किए।
दीक्षांत समारोह में उत्तर-पूर्व के 11 विशिष्ट व्यक्तियों को भी सम्मानित किया गया, जिन्हें महिला सशक्तिकरण, कृषि-उद्यमिता, सांस्कृतिक संरक्षण, स्वदेशी आस्था व परंपरा संवर्द्धन, बढ़ईगिरी, नवाचार और कौशल विकास के क्षेत्रों में योगदान के लिए पहचाना गया।
इस मौके पर प्रमुख अतिथियों में प्रो. पिनाकेश्वर महंता, निदेशक, एनआईटी मेघालय; डॉ. हरी कुमार, कुलपति, मणिपुर इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी; प्रो. प्रह्लाद जोशी, कुलपति, कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत विश्वविद्यालय, असम और दिलीप गोस्वामी, अध्यक्ष, योग गुरुकुल असम शामिल थे।
समारोह के दौरान 60 छात्रों को योग शिक्षा में डिप्लोमा प्रदान किए गए। अपने संबोधन में प्रो. पिनाकेश्वर महंता ने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने में योग के बढ़ते महत्व पर जोर दिया और सभी सम्मानित व्यक्तियों व स्नातकों को उनकी उपलब्धियों के लिए हार्दिक बधाई दी।
नीलकंता दास को ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की उपाधि मिलना इस बात का प्रतीक है कि कौशल विकास, दृढ़ संकल्प और जमीनी स्तर की उद्यमिता ग्रामीण रोज़गार सृजन और सामुदायिक विकास में कितनी प्रभावी भूमिका निभा सकती है।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश