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नई दिल्ली, 30 जुलाई (हि.स.)। सरकार ने उन खबरों को भ्रामक एवं मनगढ़ंत करार दिया है जिनमें कहा गया है कि यमन की सरकार ने भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सज़ा को माफ कर दिया है।
सूत्रों ने आज यहां कहा, हमने सुश्री निमिषा प्रिया के मामले के संबंध में तमाम दावे करने वाली रिपोर्टों को देखा है। ये रिपोर्टें गलत हैं। हम सभी से इस संवेदनशील मामले पर गलत सूचनाओं और अटकलों से बचने का आग्रह करेंगे। बीते दो दिनों में ऐसी रिपोर्टें मीडिया में आयीं हैं जिनमें कहा गया है कि यमन में मौत की सज़ा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की जान बच गयी है। यमनी अदालत द्वारा सुनाई गई उनकी मौत की सज़ा को पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है। रिपोर्टों में यह दावा भारत के ग्रैंड मुफ्ती कहे जाने वाले मुस्लिम धर्मगुरू कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय के हवाले से किया गया है। निमिषा प्रिया मूल रूप से केरल के पलक्कड़ जिले के एक ईसाई परिवार की सदस्य हैं। वह 2008 में नौकरी की तलाश में यमन गई थीं। वहीं उनकी जान-पहचान यमनी नागरिक तालाल अब्दो महदी से हुई और दोनों ने मिलकर एक क्लीनिक शुरू किया। कुछ समय बाद दोनों के रिश्तों में दरार आ गई और यहीं से निमिषा के जीवन में मुश्किलें शुरू हुईं।
जानकारी के अनुसार तालाल अब्दो महदी ने निमिषा का उत्पीड़न शुरू कर दिया था। वह खुद को सार्वजनिक रूप से निमिषा का पति बताने लगा और अवैध तरीके से उसका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया ताकि वह भारत न लौट सके। यमन के अधिकारियों के अनुसार साल 2017 में निमिषा ने अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए महदी को बेहोश करने की कोशिश की थी लेकिन इस दौरान महदी की मौत हो गई। यमन की पुलिस ने इस मामले में निमिषा को गिरफ्तार कर लिया। साल 2018 में यमन की अदालत ने निमिषा को दोषी ठहराया और साल 2020 में उसे फांसी की सज़ा सुनाई गई।
दिसंबर 2024 में यमन के राष्ट्रपति रशाद अल-आलीमी ने फांसी को मंजूरी दी थी और जनवरी 2025 में हूती विद्रोही नेता महदी अल-मशात ने भी इसकी पुष्टि कर दी थी।
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हिन्दुस्थान समाचार / सचिन बुधौलिया