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- एक वर्ष के लिए बंद हो गए पट
उज्जैन, 30 जुलाई (हि.स.)। मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर के नागचंद्रेश्वर मंदिर में नागपंचमी पर दर्शन करने वालों का आंकड़ा अपने आप में रिकार्ड बन गया है। मंदिर प्रबंध समिति का दावा है कि सोमवार रात 12 बजे से मंगलवार रात 12 बजे तक 24 घण्टे में नागचंद्रेश्वर मंदिर में 8 लाख 66 हजार 390 भक्तों ने दर्शन किए।
मंगलवार रात 12 बजे पूजन-आरती पश्चात नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट एक वर्ष के लिए पुन: बंद कर दिए गए। महाकाल मंदिर के द्वितीय तल पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट वर्ष में एक बार नागपंचमी को 24 घण्टे के लिए खुलते हैं। सोमवार रात्रि 12 बजे श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के महंत विनीत गिरी जी महाराज और प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, कैबिनेट मंत्री संपतिया उइके और प्रशासक प्रथम कौशिक द्वारा पूजन-आरती पश्चात मंदिर के द्वार श्रद्धालुओं के लिए खोले गए थे।
मंदिर प्रबंध समिति अध्यक्ष रोशनकुमार सिंह के अनुसार सतत 24 घण्टे तक भक्तों को दर्शन करवाए गए। मंगलवार रात्रि 12 बजे तक नागचंद्रेश्वर भगवान के दर्शन 8 लाख 66 हजार 390 भक्तों ने किए, जो अपने आप में रिकार्ड है।
11वीं–13वीं शताब्दी में परमार वंश के शासनकाल में नागचंद्रेश्वर मंदिर का निर्माण हुआ था। दक्षिण भारतीय द्रविड़ स्थापत्य शैली को इसके लिए अपनाया गया। यह मूर्ति एक ही पत्थर से तराशी गई है। भगवान शिव को कमलासन पर, नागराज शेषनाग की छत्रछाया में तथा मस्तक पर चंद्रमा सहित दर्शाया गया है। मूर्ति में देवी पार्वती भी सम्मिलित हैं।
मध्यकाल में आक्रमणों के चलते महाकाल मंदिर को जब क्षतिग्रस्त किया गया। संयोग से नागचंद्रेश्वर मंदिर की मूर्ति सुरक्षित रही। इसके बाद 18वीं शताब्दी (मराठा काल) में रानी अहिल्याबाई होलकर ने महाकाल मंदिर का पुनर्निर्माण कराया और नागचंद्रेश्वर मंदिर को संरक्षित रखा। आगे नाग पंचमी पर दर्शन की परंपरा को मंदिर समिति द्वारा नियंत्रित एवं व्यवस्थित किया गया। 21वीं शताब्दी में नागचंद्रेश्वर मंदिर को एक सांस्कृतिक विरासत स्थल के रूप में पहचान मिली।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा इसे सांस्कृतिक धरोहर के रूप में संरक्षित किया गया है। नागचंद्रेश्वर मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह भारतीय स्थापत्य, शैव परंपरा और लोक आस्था का जीवित प्रतीक है। इसका दुर्लभ दर्शन, मूर्ति की रहस्यमयी ऊर्जा, और ऐतिहासिक महत्व इसे भारत के अद्वितीय मंदिरों में स्थान दिलाते हैं। नागचंद्रेश्वर मंदिर सर्प पूजा, तंत्र साधना और ज्योतिषीय दोष निवारण से गहराई से जुड़ा हुआ है। नाग पंचमी के दिन यहां दर्शन करने से कालसर्प दोष, सर्पदोष और नरक भय से मुक्ति की मान्यता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / ललित ज्वेल