आज के युग में यदि हम अपनी जड़ों की ओर लौटना चाहते हैं तो संस्कृत, योग और आयुर्वेद की ओर उन्मुख होना होगा : प्रो. बी.एन. त्रिपाठी
जम्मू, 27 जुलाई (हि.स.)। संस्कृत भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति, चिकित्सा, योग, आयुर्वेद, जीवन पद्धति और आत्मिक जागरूकता की प्राणवायु है। इसी भावना को केंद्र में रखते हुए श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट रायपुर (ठठर),
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